Saturday, February 23, 2013

संत को गाय जैसा होना चाहिए

                                            " संत को गाय जैसा होना चाहिए   "

संत का जीवन को   गाय के जीवन से अगर हम तुलना करते है तो कुछ समानता नज़र आता है वो ये है की गाय घास खाती है और दूध देती है जिससे हमे मक्खन और घी मिलता है और गाय का गोबर भी हमारे कितना काम आता है जो खाद के काम आती है और हमें सात्विक अन्न भी मिलता है .......देखा जय तो गाय हम से लेती बहुत कम और देती बहुत बहुत है….
गाय की बात छोड़ अगर हम किसी बलशाली जानवर की बात करे तो जैसे हाथी,हाथी  देखने में भी  बड़ा और खाना भी उसका बड़ा ताकतवर है गन्ना गुड और हरी सब्जीया अदि अदि पर देता कुछ भी नहीं ........
अब आप सोच रहे होंगे की हाथी और गाय की बात करके हम आपको क्या बता रहे है ......वाही हम संत की बात पर आ रहे है ..संत याने एक सच्चा संत का जीवन भी गाय सामान ही होता है वो संसार से लेते बहुत कम और देते बहुत है जैसे अंगुली भर लेते और दरिया भर लौटा देते है ...वाल्मीकि की कहानी .......
एक आम इंसान को जीवन जीने की सची रह बताना और शुभ कार्य उससे करना ये एक सच्चे संत की कला
 ही है .....इस लिए किसीने कहा है संत का जीवन गाय जैसा होना चाहिए अगर संत का जीवन गाय जैसा नहीं है तो वह सच्चा संत नहीं  है .........

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