Saturday, May 18, 2013

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 

छलने वालों को जो छल गए 
सिक्के वो ही यहाँ चल गए 

हम कहानी ही लिखते रहे 
वह उपन्यास में ढल गए 

हल चले तो ये धरती कहे 
मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 
वह उमर में पचहतर हुए 
रस्सी जल के नहीं बल गए 

शक में सन्देह में जो रहे 
उनके विश्वास भी गल गए 

कह गए अब नहीं आएंगे 
आज आए है जो कल गए 

जिनको शोले जला ना सके 
प्यार की आग में जल गए 

                  राव अजातशत्रु 

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