Tuesday, May 28, 2013

राजयोग करने के लिये.........



राजयोग  करने के लिये ,
हमे अपने शरीर की सारी हरकतों को बन्द करना पडता है ,
जैसे शरीर का हिलना , देखना , बोलना  और सोचना . . .
राजयोग कैसे करते है आइये देखते है . . .
राजयोग
राजयोग के लिये
पहला काम है . . . स्थिति |
आप किसी भी तरह बैट सकते है |
बैठना आरामदेह और निश्चल होना चाहिए |
हम ज़मीन और कुर्सि पर बैटकर ध्यान कर सकते हैं |
  राजयोग हम किसी भी जगह कर सकते जहा हम सुखदायी हों |
आराम से बैठिए |
पैरों को मोड़कर उंगमियों को मिलकर |
आंखे बन्द कीजिए |
अन्दर और बाहर की आवाजों पर रोक लगाइये |
  तो शक्ति का दायार बढ़ जाता है 
 स्थिरता बढ़ जाती है | आंखें दिमाग के द्वार हैं . . .
इसीलियें आंखें खुली हो पर दिमाग याने बुद्धि योग
 अलोक की तरफ हो 
परमात्मा की तरफ हो तो योग लगेगा  और
 आंखे खुली होकर भी 
मन प्रभु प्रेम में खोया रहेगा।
कुछ अच्छे विचार लेकर चिंतन करे 
और एक मै आत्मा और मेरा परमात्मा 
कभी कभी सुरवात में ऐसा हो सकता है
कुछ अलग विचार भी आ सकते है  पर
विचारों का पीछा मत कीजिए . . .
विचारों , सवालों से चिपक मत जाइये . . .
विचारो को हटा दीजिये . . . और अपने शारीर में आत्मा की और ध्यान दे
और  सांस पर ध्यान दीजिए . . .
सांस में खो जाइये |
इसके बाद . . .
सांसों की गहराई  कम होती जाएगी . . .
धीरे धीरे सांस हल्कि और छोटी होती जाएगी . . .
आखिर में . . .
सांस बहुत छोटी हो जाएगी . . .
और दोनो भावों के बीच में चमक का रूप ले लेगी |
आत्मा अनुभूति  की इस दशा में . . .
हर किसी में . . .
न सांस .. रहेगी न विचार . . .
  आप विचारों से परे हो जाएगा . . .
ये दशा कहलाती है . . .
निर्मल स्थिती या बिना विचारो  की दशा . . .
ये बिंदु रूप की दशा है . . .
ये वो अवस्था है . . . जब हमपर परमात्मा (विश्व ) शक्ति की बोछार होने लगती है |
हम जितना ज़्यादा राजयोग करेंगे उतना ही ज़्यादा परमात्मा (विश् ) शक्ति हमे प्राप्त होगी |

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