Tuesday, June 4, 2013

"पर्यावरण बचाओ"

पर्यावरण बचाओ


कैसी  ये जंगल की लीला नियरी हे
कितनी मनोहराम ये जंगल की हरियाली हे

पंछी जहा अपने गीत सुनते
हारे हारे पर्वत् सब को रिजाते

कितनी प्यारी हवा हे आती
सब का  मान को वो हे भाती
कैसी ये जीवन की क्यारी हे
कितनी प्यारी ये हरियाली हे

पेड़ो की पत्तिया रोज नई सरगम सुनती
दूर से बहती नदी देखो कितनी इतलाती
हरी हो चली धरती सारी
चारो ओर जब फैली हरियाली

फुलो से कितनी प्यारी वो खुश्बू आती
चिड़िया की चाह चाहत कितनी लुभाती

सावन जब आता हे सब के दिलो मे रंग भर जाता हे
सब प्रेमी लोगो को हरियाली का मोसाम कितना भाता हे

जन्नत लगती हे धरती जब उमड़ कर आती हे हरियाली
मन प्रफुलित हो जाता हे जब लहर लहर लहराती हरियाली


केसी ये हरियाली हे
कितनी प्यारी ये हरियाली हे

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