Tuesday, March 25, 2014

जैविक खाद और खेती



जैविक खाद और खेती

     प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रांथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था।

     परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिसके फलस्वरूप जैविक और अजैविक पदार्थों के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है, और वातावरण प्रदूषित होकर, मानव जाति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध रहेगा और मनुष्य एवं प्रत्येक जीवधारी भी स्वस्थ रहेंगे।

     जैविक खेती कृषि की यह एक विधि है जो जमीन कि उर्वरक शक्ति को बने रखती है और अच्छी गुणवत्ता वाला फ़सल किशन को मिलता है और यही आज कि मांग है।  १९९० के बाद से पुरे विश्व में जैविक उत्पद कि मांग बहुत बढ़ गया है और तब से ही किशन इस बात कि और आकर्षित हुए है।  लेकिन आज भी बहुत ऐसे किशन है जिन्हें जैविक विधि से खेती करने में असुविधा हो रही है। और आज हम उन्हीं किशानो को ध्यान में रखते हुए जैविक खाद का उपयोग और विधि बता रहे है। महिन्द्रा ठाकुर जो जीवाणु विशेषयज्ञ  है, उन के द्वारा सुनते है N. P. K. क्या है और कैसे ये जैविक तरीक़े से खेती में उपयोग करे और साथ ही साथ खेती कि सुरुवात बीज से लेकर फ़सल तक कि सारी बाते सुनेंगे। 






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