Friday, March 21, 2014

Hindi Motivational & Inspirational Stories - " रूहानी दर्पण "

रूहानी दर्पण

         एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे। शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब सब शिष्य चले गए तो एक शिष्य बैठा रह गया। बुद्ध  उससे पूछा कि तुम क्या चाहते हो ? तब उस शिष्य ने कहा - यदि भगवान् मुझे आज्ञा दे तो मै इस देश में घूमना चाहता हूँ। तब बुद्ध कुछ समय शान्ति में मग्न हुए और फिर कहा शिष्य से बुरे लोग तुम्हारी निन्दा करेँगे और गालियाँ देँगे, तब तुम्हें कैसा लगेगा ? इस प्रश्न का उत्तर में शिष्य ने कहा कि मै समझ लूँगा कि उन्होंने मुझ पर धूल नहीं फेकी या पत्थर नहीं मारे, तो यह लोग भले है। बुद्ध ने फिर कहा कुछ लोग धूल भी फेंक सकते है, पत्थर भी मार सकते है, तब क्या करोगे ? शिष्य ने कहा कि मै इस में भी भला समझूँगा कि उन्होंने मुझे हथियारों से नहीं मारा। इस के बाद बुद्ध ने फिर कहा कि इस देश में तो लुटेरों, ठगो, डाकुओ का भी निवास है, वे तुम्हें हथियारों से भी मार सकते है। ऐसा सुनकर शिष्य बड़े आराम से बोला कि वे लोग मुझे दयालु जान पड़ेंगे क्यों कि उन्होंने मुझे जीवित तो छोड़ा। क्यों कि यह संसार दुःख स्वरूप है। इस में बहुत दिन ज़िन्दा रहने से दुःख अधिक मिलते है। आत्महत्या तो पाप है, यदि कोई दूसरा मार दे तो यह उसकी दया है। ये बात अपने शिष्य से सुनकर महात्मा बुद्ध बहुत प्रसन्न हुऐ और उन्होंने उस शिष्य को कहा कि साधु वही है जो किसी को बुरा नहीं कहता, और देश भर में घूमने कि अनुमति दे दी।

 सीख  -  वास्तव में भगवन हमें ऐसा ही रूहानी दर्पण बनाते है जिस में कि किसी का कैसा भी रूप आए लेकिन उस रूप की, चाहे वह भयानक विकारी हो या फिर अच्छा, तो उसकी अच्छाई और बुराई उसे स्वतः दिखाई दे लेकिन हमारे ऊपर उसका कोई प्रभाव न हो। हमें तो अपने रूहानी नाशे में रहना है।

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