Monday, March 31, 2014

Hindi Motivational Stories - ' कतनी - करनी एक समान हो '

कतनी - करनी एक समान हो

              किसी सत्संग में महत्मा जी ज्ञानोपदेश कर रहे थे - बस, राम नाम की माला जपते रहो। राम नाम से भवसागर पार कर जायेंगे। सच्चे मन से राम का नाम लो, वह नाव का काम करेगी। श्रद्धालू में से एक परम भक्त भी था। सत्संग में आने के लिए उसे प्रतिदिन नदी पार करनी पड़ती थी। गुरु जी की वाणी उसके लिए राम - बाण बन गया। वह सच्चे मन से प्रभु - स्तुति कर ईश्वरीय अनुकम्पा (याद ) से नदी पार करता था। उसने एक बार सहृदयता से उपकृत होकर एक दिन वह महात्मा जी को अपने घर में आमंत्रित किया। और महात्मा जी उस परम भक्त का निमंत्रण स्वीकार किया और चल पड़े जब महात्मा जी नदी के किनारे पहुँचे तब वह कोई नाव न देख बोले - वत्स, नाव कहाँ है ? इसे पार कैसे किया जय ? भक्त ने कहा - महात्मा जी, आप भी मज़ाक करते है। आप ही ने कहा था, कि राम नाम लो तो सहज ही भवसागर से पार हो जाएंगे। और उसी दिन से मै यह आकर जब ईश्वर को याद करता हूँ तो सन्मुख नाव और नाविक हाज़िर हो जाते है।

                 देखिये, हाथ कंगन को आरसी क्या। तब भक्त ने ईश्वर - स्मरण किया। और उसी समय नाव और नाविक हाज़िर हुए ये देखकर महात्मा जी आत्मग्लानि से विह्ल हो गये। उन्हें उस चमत्कार को देख अपनी कथनी - करनी में असमानता पर बड़ी ही लज्जा का अनुभव हुआ। और उस दिन से वे भी कथनी और करनी को समान करने में लग गये।


सीख - कथनी - करनी को समान बनाने ने के लिए हमे अन्तर ध्यान करना होगा। एक बार समय दे अपने आप को जाने और समझे कि मेरी कथनी और करनी में कितना अन्तर है। उसके बाद ही हम उस पर कार्य कर सकेंगे वर्ना महात्मा जी कि तरह हमें भी आत्मा ग्लानि का अनुभव करना पड़ेगा। 

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