Thursday, April 10, 2014

Hindi Motivational Stories - आज का युवा आत्म सम्मान से वंचित

' आज का युवा आत्म सम्मान से वंचित '

     आज मैं मेरे दोस्त के साथ कॉलेज गया था और कैम्पस के अन्दर ही स्पोर्टस चल रहे थे। तो एक ख़ुशी का माहोल था। खेल देखने से उमंग बढ़ता है ख़ुशी होती है। ये तो हम सभी जानते है। तो मै भी दोस्त के कहने पर उसका खेल देखने आया था। जैसे ही खेल पूरा हुआ तो मै अपने घर की तरफ जाने कि सोच रहा था। पर अचानक मेरी नज़र गार्डेन पर बैठे पुराने दोस्तों की तरफ गयी और उनकी मेरी तरफ तो फिर मै भी गार्डेन में जा कर उनके साथ बैठ गया। और फिर सब ने अपनी अपनी कैरियर कि बात शुरू कर दी मैं तो चुप चाप उनकी बाते सुनने लगा। जितने युवा थे वह सब के सब अमेरिका जाने का और वही आगे कि पढ़ाई करके वही काम करना  ये उनकी मानसिकता थी, शायद आज ८० परसेंट युवाओं की यही सोच है भारत के बहुत से युवा इसी सोच में है।

            मै उनकी बाते सुनते सुनते  खो गया सोचने लगा भारत देश के बारे में जिस भारत की महिमा हम सुनते और करते हैं।और वही भारत के युवा आज क्या सोच रहे हैं। आज की युवा की ये सोच से  भारत माँ क्या खुश  है या … ?  जी  हाँ आप ही बताईये कुछ.....

        जिस भारत भूमि पर हमने जन्म लिया हमारे पूर्वज जिनका पूरा जीवन इस मातृ भूमि में पला है। और आज हम सिर्फ पैसे या डॉलर के लिये अपनी मातृ भूमि को छोड़ कर जा रहे हैं। जरा सोचिये ये तो ऐसा है जैसे की हमने माँ कि कोख से जन्म लिया उनकी गोद में पले और बड़े हुए और जैसे ही वक्त आया उस माँ को रिटर्न देने का तो उसे छोड़ कर भाग गये।

      आज देखिए जो युवा अपना देश छोड़ कर गया हुआ है। उनकी जीवन को देखिये पैसे तो मिल गए पर वो प्यार और वो आत्मा सम्मान कहाँ है उनके पास, बहुत से युवा ऐसे बंध गए हैं। उन्हें समय पर अपने घर वालों से मिलना भी नसीब नहीं होता। रिश्ते नाते सब बदल जाते हैं  ना वहाँ सम्मान मिलता है और ना यहाँ, डॉलर के खातिर जीवन का मूल्य खो चुके युवाओं का जीवन भी क्या जीवन हैं ?

       हर युवा विदेश जाने से  पहले यही सोच रखता है की वहाँ जकर बहुत पैसे कमांएगे और फिर ५ या १० साल बाद यहाँ भारत में आकर आराम की ज़िन्दगी गुजरेंगे। पर वहाँ जाने के बाद सब कुछ बदल जाता है और ९९ का चक्र शुरू हो जाता है और थोड़े दिन बाद और थोड़ा कमायी हो जाने के बाद …… ऐसा करते करते उनका जीवन बदल जाता है। १० साल नहीं ३० से ४० साल गुजर जाता है पर वो आराम की ज़िन्दगी की तलाश पूरी नहीं होती और मातृ भूमि से वो नाता भी टूट जाता हैं। और अन्दर में मन उसका कहीं न कहीं वो सम्मान या प्यार से वंचित रहता हैं। जिसे वो शायद ही फिर से पा सके।

      मैं तो कहता हूँ अपने देश में रहो दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ और भारत में ही अपना हुनर दिखाव जिस से नाम भी होगा सम्मान भी मिलेगा और आत्म सम्मान भी बना रहेगा और हर भारतीय को आप पर नाज़ होगा।

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