Friday, April 25, 2014

Hindi Motivational Stories - ' कर्म अनुसार प्राप्ति '

कर्म अनुसार प्राप्ति 

          एक बार एक राजा एक व्यक्ति के काम से खुश हुआ। उसने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाकर कहा कि तेरी मेहनत, वफादारी व हिम्मत से मैं बहुत प्रसन्न हूँ, इसलिए मैं आज तुझे कुछ इनाम देना चाहता हूँ। फिर उसने कहा कि काम तो चाहे तुमने लगभग 500 रुपये जितना किया है पर मैं तुम्हें कुछ इससे अधिक देना चाहता हूँ। वह व्यक्ति बहुत खुश हो रहा था। और राजा ने उससे कहा, आज रात तुम मेरे व्यक्तिगत कमरे में ही गुजरना। वहाँ सब प्रकार का कीमती सामान है, तुम्हे जो चाहिए, वह उसमें से ले लेना परन्तु सुबह 7 बजे कमरा खाली कर देना।

        व्यक्ति का तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा। वह अपने भाग्य को सराहने लगा और सोचने लगा कि सचमुच, भगवन जब देता है तो छप्पर फाड़कर ही देता है। और वह व्यक्ति रात के ठीक 9 बजे राजा के कमरे में प्रवेश किया। अनेक प्रकार की आलीशान वास्तुअों, कीमती सामान को देख कर उसकी आँखे चमक उठी।वह एक- एक चीज़ को बडे ध्यान से देखता और मन में सोच लेता कि वह यह चीज भी अपने साथ ले जाएगा, वो भी ले जाएगा और इस प्रकार उसने कई वस्तुअों को अपने साथ ले जाने की योजना बना ली। और फिर मन-ही-मन मुस्कुराते हुए सामने बिछे हुए नरम-नरम गद्दों वाले बिस्तर की ओर चल दिया। उसने सोचा कि सारा दिन बहुत काम करके वह थक गया है। तो क्यों न कुछ देर सुस्ता ही लिया जाय और उसके बाद सब सामान इकट्ठा कर सुबह होते ही सामान सहित कमरे से बाहर चले जाएंगे।

          यह सोचकर वह उस पलंग पर जाकर चैन से लेट गया। थका हुआ तो था ही, और कुछ ही क्षणों में उसे निद्रा देवी ने घेर लिया। वह सोया रहा, सोया रहा और इतना सोया रहा कि सुबह के 7 बज गए। उसी वक्त राजा का नौकर ने आकर दरवाजा खटखटाया। वह व्यक्ति आँखे मलता हुआ हड़बड़ा कर उठ बैठा। उसने जल्दी से बिस्तरे से उठ कर दरवाजा खोला। नौकर ने कहा समय पूरा हो गया है। उस व्यक्ति ने घड़ी की तरफ देखा और कमरे से बाहर निकलते वक्त सामान तो बाँधकर नहीं रखा था सो एक टेबल लैंप को ही खींचता हुआ ले आया। और किसी से पूछने पर मालूम हुआ कि उस लैम्प की कीमत कुल 500 रुपये ही है। जितना उस व्यक्ति ने काम किया था, उसको उतनी ही प्राप्ति हो गई।

         जरा सोचिये सारा कमरा, कीमती सामान, आलीशान वस्तुअों से भरा उस व्यक्ति के समाने थी , वह उस में से जितना चाहे उतना ले सकता था परन्तु तकदीर के बिना मनुष्य को कुछ भी प्राप्त नहीं होता। चाहे कारण कोई भी हो जैसे नींद का। परन्तु याद रखना तक़दीर भी अपने ही कर्मो से बनती है। श्रेष्ठ कर्म करने वालो की ही श्रेष्ठ तक़दीर बनती है। और निकृष्ट कर्म या खोटे कर्म करने वाले की खोटी तक़दीर। जैसे उस व्यक्ति ने 500 रुपये का काम किया था और 500 रुपये की ही उसको चीज़ मिल गई।

सीख - मनुष्य को चाहे कुछ भी हो अपने कर्मो पर सब से पहले पूरा ध्यान देना है। कर्म से ही तक़दीर बनती है।

          

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