Saturday, June 14, 2014

Hindi Motivational Stories......... स्वच्छा बुद्धि में ही स्वच्छा ज्ञान रहता है

स्वच्छा बुद्धि में ही स्वच्छा ज्ञान रहता है 

  एक व्यक्ति को एक महात्मा जी के पास ज्ञान-चर्चा के लिए जाना था। महात्मा जी का आश्रम ऊँची पहाड़ी पर स्तिथ था जहॉ पहुँचाने के लिए टेढ़े मेढे, पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता था। वह व्यक्ति चलते-चलते तन और मन दोनों से थक गया। उसके अन्दर ढेर सारे प्रश्नों एवं उल्टे-सुल्टी बातों की झड़ी लग गयी। वह सोचने लगा कि इस महात्मा जी को ऐसे निर्जन एवं उतार - चढ़ाव वाले रस्ते में ही आश्रम बनाना था, कोई और जगह नहीं मिली ?

             जैसे-तैसे करके वह महात्मा जी के पास पहुँचा और अपने आने का उद्देश्य बताकर रस्ते भर सोचे गए सारे प्रश्नों की बौछार महात्मा जी पर कर दी। महात्मा जी मुस्कराने लगे एवं अन्दर जाकर एक गिलास एवं जग भर पानी ले आये। खाली गिलास को भरने लगे। पूरा भरने लगे। पूरा भरने के बाद भी भरते ही रहे। वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो महात्मा जी को देखने लगा और बोला - महाराज, यह गिलास तो भर चूका है, फिर भी आप इसे भरते ही जा रहे ही। महत्मा जी ने कहा - जिस प्रकार भरे हुए गिलास में और पानी नहीं भरा जा सकता है, ठीक उसी प्रकार पहले से ही व्यर्थ बातों से भरें मन में ज्ञान की बाते कैसे भर सकती है ? ज्ञान समझने के लिए बुद्धि रूपी पात्र हमेशा खाली, शान्त एवं निर्जन होना चाहिए। वह व्यक्ति महात्मा जी का ईशारा समझ गया और उसने अपने दृष्टिकोण और आदत को बदलने का ढूढ़ निश्चय कर लिया। उसके  मन में महात्मा जी के प्रति सम्मान का भाव जग गया।

 सीख - बहुत बार हम जिस उपदेश को लेकर जाते है उसे भूलकर दूसरी बातों की चर्चा में चले जाते है, जिस से समय और व्यक्ति का मन ख़राब हो जाता है। इस लिए अपने लक्ष को हमेश साथ रखो और उसकी ही बातें करो तो सफल हो जाएंगे। और समय भी कम लगेगा। 

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