Saturday, June 7, 2014

Hindi Motivational stories...... प्राण जाय पर वचन न जाय

प्राण जाय पर वचन न जाय 

     अकबर बादशाह की सेना राजपूतोँ ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर लिया था। महाराणा प्रताप अरावली पर्वत के वनों में चले गये थे। महाराणा के साथ राजपूत सरदार भी वन एवं पर्वतों में जाकर छिप गये थे। महाराणा और उनके सरदार अवसर मिलते ही मुग़ल-सैनिकों पर टूट पड़ते और मार-काट मचाकर फिर बनो में छिप जाते थे।

    महाराणा प्रताप के सरदारों में से एक सरदार का नाम रघुपति सिंह था। वह बहुत ही वीर था। अकेले ही वह जब चाहे शत्रु की सेना पर धावा बोल देता था और जब तक मुग़ल-सैनिक सावधान हो, तब तक सैकड़ो को मारकर वन-पर्वतो में भाग जाता था। मुग़ल सेना रघुपति सिंह के नाम से घबरा उठी थी। मुगलों के सेनापति ने रघुपति सिंह को पकड़ने वाले को बहुत बड़ा इनाम देने की घोषणा कर दी। रघुपति सिंह वनो और पर्वतों में घुमा करता था। एक दिन  समाचार मिला कि उसका इकलौता लड़का बहुत बीमार है और घड़ी दो घडी में मरने वाला है। रघुपति सिंह का हृदय अपने पुत्र को देखने के लिये व्याकुल हो उठा। वह वन में से घोड़े पर चढ़कर निकला और अपने घर की ओर चल पड़ा। पुरे चितौड़ को बादशाह के सैनिकों ने घेर रखा था। हर दरवाजे पर बहुत कड़ा पहरा था। पहले दरवाजे पर पहुँचते ही पहरेदार ने कड़क कर पूछा कौन हो तुम ?

   रघुपति सिंह झूठ नहीं बोलना चाहता था, उसने अपना नाम बता दिया। इस पर पहरेदार बोला - तुम्हें पकड़ने लिये सेनापति ने बहुत बड़ा इनाम घोषित किया है, में तुम्हें बंदी बनाऊंगा।

   रघुपति सिंह बोला - भाई ! मेरा लड़का बीमार है। वह मरने ही वाला है। मैं उसे देखने आया हूँ। तुम मुझे अपने लडके का मुँह देख लेने दो। मैं थोड़ी देर में ही लौट कर तुम्हारे पास आ जाऊँगा।

    पहरेदार सिपाही बोला - यदि तुम मेरे पास न आये तो ? रघुपति सिंह - मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि अवश्य लौट आऊंगा। पहरेदार ने रघुपति सिंह को नगर में जाने दिया। वे अपने घर गये। अपनी स्त्री और पुत्र से मिले और उन्हें आश्वासन देकर फिर पहरेदार के पास लौट आये। पहरेदार उन्हें सेनापति के पास ले गया। और सारी बात बताई। सेनापति ने सब बातें सुनकर पूछा - रघुपति सिंह क्या तुम नहीं जानते थे कि पकड़ जाने पर हम तुम्हें फाँसी देंगे ? तुम पहरेदार के पास दोबारा क्यों लौट आये ? रघुपति सिंह ने कहा - मैं मरने से नहीं डरता। राजपूत वचन देकर उससे टलते नहीं और किसी के साथ विश्वासघात भी नहीं करते।

    सेनापति रघुपति सिंह की सच्चाई देखकर आश्चर्य  पड़ गया। उसने पहरेदार को आज्ञा दी - रघुपति सिंह को छोड़ दो। ऐसे सच्चे वीर को मार देना मेरा ह्रदय स्वीकार नहीं करता।

सीख - पूर्व में इंसान अपने वादे पर अटल रहता था। लेकिन आज बाहर की बात छोड़ो अपने घर में अपनों से किया वादा भी पूरा नहीं करते। इस लिए अपने आप को ऐसा तैयार करो जो बोलो सो करो।   

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