Sunday, June 15, 2014

Hindi Motivational Stories.... .........बुद्धिमान बंजारा

बुद्धिमान बंजारा 

   एक बंजारा था। वह बैलों पर मुल्तानी मिट्टी लादकर दिल्ली की तरफ जा रहा था। रास्तें में कई गाँवो से गुजरते समय उसकी बहुत सी मिट्टी बिक गयी। बैलों की पीठ पर लदे बोरे आधे तो खाली हो गये और आधे भरे रह गये। अब वे बैलों की पीठ पर टिके कैसे ? क्यों कि भार एक तरफ हो गया। नौकरों ने पूछा कि क्या करे ? बंजारा बोला - अरे ! सोचते क्या हो, बोरों के एक तरफ रेत भर लो। यह राजस्थान की जमीन है, यहाँ रेत बहुत है। नौकरों ने वैसा ही किया। बैलों की पीठ पर एक तरफ आधे बोरे में मुल्तानी मिट्टी हो गयी और दूसरी तरफ आधे बोरे में रेत हो गई।

    दिल्ली से एक सज्जन सामने से आ रहे थे। उन्होंने बैलों पर लदे बोरों में एक तरफ रेत झरते हुए देखी तो वे बोले कि बोरों में एक तरफ रेत क्यों भरी है ? नौकरों से कहा - सन्तुलन बनाने के लिए। वे सज्जन बोले - अरे ! यह तुम क्या मूर्खता करते हो ? तुम्हारा मालिक और तुम एक से ही हो। बैलो पर मुफ़्त में ही भर ढ़ो कर उनको मार रहे हो। मुल्तानी मिट्टी के आधे-आधे दो बोरों को एक ही जगह बांध दो तो कम-से-कम आधे बैल तो बिना भार के खुले चलेंगे। नौकरों ने कहा आपकी बात तो ठीक जँचती है, पर हम वही करेंगे, जो हमारा मालिक कहेगा। आप जाकर हमारे मालिक से यह बात कहो और उनसे हमें हुक्म दिलवाओ। वह मालिक (बंजारे ) से मिला और उस से बात कही। बंजारे ने पूछा कि आप कहाँ के है ? कहाँ जा रहे है ? उसने कहा कि में भिवानी का रहने वाला हूँ। रुपये कमाने के लिए दिल्ली गया था। कुछ दिन दिल्ली में रहा, फिर बीमार हो गया। जो थोड़े रुपये कमाये थे, वे खर्च हो गये। व्यापार में घाटा लग गया। पास में कुछ रहा नहीं तो विचार किया कि घर चलना चाहिए।

               उसकी बात सुनकर बंजारा नौकरों से बोला कि इनकी सहमति मत लो। अपने जैसे चल रहे है, वैसे चलो। इनकी बुद्धि तो अच्छी दिखती है, पर उसका नतीजा ठीक नहीं निकलता, अगर ठीक निकलता तो ये धनवान हो जाते। हमारी बुद्धि भले ही ठीक न दिखे , पर उसका नतीजा ठीक होता है। मैंने कभी अपने काम में घाटा नहीं खाया। और बंजारा अपने बैलो को लेकर दिल्ली पहुँचा। वहाँ उसने जमीन खरीद कर मुल्तानी मिट्टी और रेत दोनों को अलग-अलग ढेर लगा दिया और नौकरों  कहा कि बैलों को जंगल में ले जाओ और जहाँ चारा-पानी हो, वहाँ उनको रखो। यहाँ उनको चारा खिलायेंगे तो नफा कैसे कमायेंगे ? मुल्तानी मिट्टी बिकनी शुरू हो गयी।

    उधर दिल्ली का बादशाह बीमार हो गया। वैध ने सलाह दी कि अगर बादशाह को राजस्थान के धोरे (रेत की टीले ) पर रहें तो उनका शरीर ठीक हो सकता है। रेत में शरीर को निरोग करने की शक्ति होती है। अंतः बादशाह को राजस्थान भेजे। राजस्थान क्यों भेजे ? वहाँ की रेत यही माँगा लो। ठीक बात है। फिर किसी ने कहा रेत यही मिल जायेगी। अरे ! ते दिल्ली का बाज़ार है, यहाँ सब कुछ मिलता है। मैंने एक जगह रेत का ढेर लगा हुआ देखा है। अच्छा! तो फिर जल्दी रेत मँगवा लो। बादशाह के आदमी बंजारे के पास गये और उस से पूछा कि रेत क्या भाव है ? बंजारा बोला कि चाहे मुल्तानी मिट्टी खरीदों, चाहे रेत खरीदो, एक ही भाव है। दोनों बैलों पर बराबर तुलकर आये है। बादशाह के आदमियों ने वह सारी रेत खरीद ली।

 सीख - इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि जिनकी बुद्धि अच्छी हो और जिस ने जीवन में उन्नति किया हो कुछ कमाया हो उसकी बात माननी चाहिए। ऐसे ही जो संत महात्मा जिन्होंने अपने जीवन में  दुःख अशांति पर काबू पा लिया हो और सुख शांतिमय जीवन जी रहे हो उनकी बात सुनना चाहिए।

     

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