Sunday, July 13, 2014

Hindi Motivational stories.........................वचन का पालन ऐसा भी ……

वचन का पालन ऐसा भी ……

    स्पेन देश के एक छोटे-से गाँव में एक माली अपने बगीचे को सींचने और पेड़-पौधों को ठीक करने में लगा था। उसी समय एक मनुष्य दौड़ता हुआ बगीचे में आया। वह मनुष्य लम्बा था, उसका सर नंगा था और  बाल बिखरे हुए थे। उसने एक कोट पहन रखा था। बगीचे के स्वामी के सामने आकर हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ वह बोला - " आप मेरी रक्षा कीजिये। दिन भर के लिये मुझे कहीं छुपा दीजिये। कुछ लोग मेरे पीछे पड़े है। वे मुझे मार डालना चाहते है। "

       वह आदमी थर-थर काँप रहा था और भय के मारे बार-बार पीछे की ओर मुड़कर बगीचे के फाटक की तरफ देख रहा था। बगीचे के स्वामी को उस पर दया आ गयी। उन्होंने उसे एक कोठरी दिखाकर कहा - "उसमें रद्दी फावड़े, टोकरियाँ तथा दूसरा सामान पड़ा है। तुम उसी में छिपकर बैठ जाओ। मैं किसी को तुम्हारा पता नही बताऊँगा। रात को अँधेरा होने पर तुम्हे यहाँ से निकाल दूंगा। "

     थोड़ी देर में कुछ लोग एक युवक की मृत देह उठाये वहाँ आये। बगीचे के स्वामी ने उस युवक को देखा और "बेटा !- बेटा ! कहकर रोता हुआ उस से लिपट गया। वह युवक उसका पुत्र था। आज सवेरे वह अकेले ही घर से घूमने निकला था !

   जो लोग उस युवक की मृत देह लेकर आये थे , उन्होंने बताया -"गाँव के बाहर केवेलियर जाति के एक मनुष्य ने इसका गला घोंटकर मार डाला है। हमलोग दौड़े, किन्तु वह भागकर अपने गाँव में ही कही छिप गया।  हमें बहुत दुःख है कि हमारे पहुँचाने में देर हो गयी। आपके पुत्र के प्राण हम नहीं बचा सके। "

   उस समय केवेलियर जाति और स्पेन के दूसरे लोगों में दुश्मनी थी। इसी वजह से केवेलियर जाति के लोग स्पेन के लोगों को छिपकर मार दिया करते थे। बगीचे के स्वामी को उन लोगों ने हत्यारे का रूप-रंग उसके कोट का रंग बताया। ये बात सुनते ही बगीचे का स्वामी सिर पकड़कर बैठ गया। वह समझ गया कि जिस मनुष्य को उसने कोठरी में छिपा रखा है, वही उसके पुत्र का हत्यारा है। हत्या करके पकड़े जाने के भय से यहाँ छिपा है। लेकिन उस हत्यारे के सम्बन्ध में एक शब्द भी बगीचे के स्वामी ने नहीं कहा।

    पूरा दिन अपने पुत्र का अंतिम संस्कार करने में बीत गया और जब सब लोग सो गए। रात हुई, तो बगीचे का स्वामी अपने बगीचे में आये। उसने वह कोठरी खोली और उस में छिपे मनुष्य से कहा - "तुम्हे पता है कि दिन में तुमने जिस युवक की हत्या,  वह मेरा पुत्र था। " हत्यारा काँपने लगा। भय के मारे उस से बोला नहीं गया। उसने समझ लिया कि अब उसके प्राण नहीं बच सकते। लेकिन बगीचे के स्वामी ने उसे निर्भय करते हुए कहा - "डरो मत ! मैंने तुम्हें शरण दी है और तुम्हारी रक्षा का वचन दिया है, में अपने वचन का पालन करूँगा। तुम रातों रात यहाँ से भाग जाओ। " हत्यारा उस बगीचे के स्वामी के पैरों पर गिर पड़ा और फुट-फुटकर रोने लगा। बगीचे के स्वामी ने उसे उठाया और कहा - "मेरा बेटा अब लौट के आ नहीं सकता। तुम व्यर्थ देर मत करो। "

सीख - अपने वचन के पालन के लिये अपने पुत्र के हत्यारे को भी क्षमा करने वाले ऐसे पुरुष ही संसार में महापुरुष कहे जाते है। 

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