Thursday, July 3, 2014

Hindi Motivational Stories....................छत्रपति महाराज शिवाजी की उदारता

छत्रपति महाराज शिवाजी की उदारता 


   एक बार एक बालक जो तेरा-चौदह वर्ष का था। रात में किसी प्रकार छिपकर उस कमरे में पहुँचे जहा शिवाजी महाराज सो रहे थे। अब उसने देखा की महाराज सो रहे है। तो उसने तलवार निकाली महाराज को मारने ही वाला था कि पीछे से तानाजी ने उसका हाथ पकड़ लिया। छत्रपति शिवाजी महाराज के विश्वासी सेनापति तानाजी ने उस लड़के को पहले ही देख लिया था और वे यह देखना चाहते थे कि वह क्या करने आया है।  इसी बीच शिवाजी की नींद खुल गयी। उन्होंने पूछा बालक से -'तुम कौन हो ? और यहाँ क्यों आये हो?बालक ने कहा - ' मेरा नाम मालोजी है। मैं आपकी हत्या करने आया था। ' शिवाजी बोले - 'तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो ? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? ' बालक बोला - ' आपने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा है। लेकिन मेरी माँ कई दिनों से भूखी है। हम बहुत गरीब है। आपके शत्रु शुभगारा ने मुझे कहा था कि यदि मैं आपको मार डालू तो वे मुझे बहुत धन देंगे। '

 इतने में तानाजी बोले - 'दुष्ट लडके ! धन के लोभ से तू  महाराष्ट्र के उद्धारक का वध करना चाहता था? अब मरने के लिए तैयार हो जा। ' बालक तनिक भी डरा नहीं। उसने तानाजी के बदले शिवाजी से कहा - ' महाराज ! मैं मरने से डरता नहीं हूँ। मुझे अपने मरने की चिन्ता भी नहीं है। लेकिन मेरी माँ बीमार है और कई दिनों से भूखी है। वह मरने को पड़ी है। आप मुझे एक बार घर जाने दीजिये। उनसे माफ़ी माँगकर माता के चरणों में प्रणाम करके मैं फिर आपके पास लौट आऊंगा। मैंने आपको मारने का यत्न किया। अब आप मुझे मार डाले; यह तो ठीक ही है.परन्तु मुझे थोड़ा-सा समय दीजिये। '

      तानाजी बोले - ' तू हमें बातो से धोखा देकर भाग नहीं सकता। ' बालक बोला - ' मैं भागूँगा नहीं। मैं मराठा हूँ, मराठा झूठ नहीं बोलता। ' शिवाजी ने उसे घर जाने की आज्ञा दे दी। बालक घर गया। दूसरे दिन सबेरे जब छत्रपति महाराज शिवाजी राजदरबार में सिंहासन पर बैठे थे, तब द्धारपालने आकर सूचना दी कि एक बालक महाराज के दर्शन करना चाहता है। बालक को बुलाया गया। वह वही मालोजी था। मालोजी दरबार में आकर छत्रपति को प्रणाम किया। और बोला - 'महाराज ! मैं आपकी उदारता का आभारी हूँ। माता का दर्शन कर आया हुँ. अब आप मुझे मृत्यु दण्ड दे।

    छत्रपति महाराज सिँहासन से ऊठे। और बालक को गले से लगा लिया और कहा -' यदि तुम्हारे-जैसे वीर एवं सच्चे लोगों को प्राण दण्ड दे दिया जायेगा तो देश में रहेगा कौन ?
 तुम्हारे-जैसे बालक ही तो महाराष्ट्र के भूषण है। '

  इस तरह बालक मालोजी शिवाजी महाराज की सेना में नियुक्त हो गया। छत्रपति उसकी माता की चिकित्सा के लिए राजवैध को भेजा और बहुत-सा धन उसे उपहार में दिया।

सीख - सुना है -"दिल साफ तो मुराद हासील " " सच्चे दिल पर साहेब राजी "
 इस लिये सच्चे बनो नेक बनो।
 तो दिल की हर मुराद पूरी होगी। 

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