Wednesday, September 3, 2014

Hindi Motivational Stories.................ससुराल की रीत

ससुराल की रीत 

   एक गाँव में एक लड़की विवाह करके ससुराल में आयी। घर में एक उनका पति , एक सास और एक दादी सास थी। कुछ ही दिन हुवे उसे आये लेकिन घर के अन्दर क्या चल रहा है, ये उसे पता चला। उसने देखा सास अपनी दादी सास के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती है। दादी सास वृद्ध होने के कारन किसी को कुछ नहीं कहती जो मिलता खा लेती जहा बिठा दिया वहाँ बैठ जाती थी। सास उन्हें खाना भी बचा हुवा देती थी। और कभी कभी तो सास दादी सास पर बिना कारण भरस पड़ती , और तो और कभी मार भी देती थी।

              लड़की को बड़ा बुरा लगा ये सब देखकर और दया भी आयी, उसने सोचा एक दिन अगर वह सास को कुछ बोले तो सास कहेंगी कल की छोकरी मुझे उपदेश देती है। इस लिए लड़की ने युक्ति से काम लिया और लड़की सब काम काज करके दादी सास के पास बैठ जाती। दो दिनों के बाद सास ने देखा रोज ये लड़की दादी सास के पास क्यों बैठती है ? सास ने आवाज़ दिया, ' बहु वहाँ क्यों जाकर बैठती है ' लड़की ने कहा ,' काम बतावो ' सास ने कहा काम क्या बताना मैं पूछ रही हूँ वहाँ क्यों बैठती है घर में और भी जगह है। तो लड़की बोली ,'मेरे पिताजी ने कहा है जवान लड़की को घर में बड़े बूढो के पास बैठना है जवान लड़कों या लड़कियों के साथ कभी नहीं ' बड़े बूढो के साथ बैठने से रीति रिवाज़ का पता पड़ेगा।  हर गॉव की रीति रिवाज़ अलग होते है। तुम्हे वहाँ के रीति रिवाज़ के अनुसार चलना होगा। मैं यहाँ का रीति रिवाज सीखने के लिए दादी के पास बैठी हूँ। सास ने कहा क्या सीखा , लड़की ने कहा - मैंने जब दादी से पूछा आपकी बहु आपकी कैसी सेवा करती है ? दादी ने कहा - कि यह मेरे को ठोकर नहीं मारे, गाली नहीं दे तो मैं सेवा ही मानु।' ये बात सुनकर सास कहा ,'क्या तू भी ऐसा ही करेंगी ?' लड़की ने कहा ,' मैं ऐसा नहीं कहती हूँ ,मेरे पिताजी ने कहा है कि बड़ो से ससुराल की रीति सीखना । '

     सास डरने लगी और सोच चला ,'कि मैं अपनी सास के साथ जो बर्ताव करती हूँ। कहीं ये लड़की आगे मेरे साथ तो नहीं करेंगी ?… और उसी सास की नज़र कोने में रखे ठीकरी ( पत्तों से बनाया हुआ प्लेट ) पर पड़ी ! तब सास ने पूछा ये ठीकरीया यहाँ क्यों रखी है ? लड़की ने कहा आप दादी को ठीकरी में खाना देते हो इसलिए मैंने उन्हें पहले से जमा कर रख दिया है।

सास - तो मुझे ठीकरी में भोजन करायेगी क्या ?
लड़की - पिताजी ने कहा है तेरे वहाँ के रीति रिवाज के अनुसार चलना।
सास - यह रीति थोड़े ही है। (नाराज होकर बोली )
लड़की - तो फिर आप दादी को ठीकरी में भोजन क्यों देती हो ?
सास - थाली कौन माँजे ?
लड़की - थाली तो मैं माँज दूँगी !
सास - तो तू थाली में दिया कर, अब ये ठीकरी उठाकर बाहर फ़ेंक।
     
      इस तरह बूढ़ी दादी को ताजा खाना थाली में मिलने लगा। रसोई बनते ही वह लड़की दादी माँ को दे देती।  दादी दिनभर एक खटिया में पड़ी रहती। एक दिन लड़की उस खटिया को देखने लगी। सास ने पूछा ,- 'क्या देख रही हो ?' लड़की ने कहा ,'देख रही हूँ बड़ो को कैसी खटिया देनी चाहिये ' सास ने कहा ,' वो खटिया तो टूटा हुआ है ' लड़की बोली, ' तो दूसरी खटिया क्यों नहीं देते। ' सास ने कहा ,' तू लगा दे दूसरी खटिया ' लड़की ने कहा आप आज्ञा दे तो मैं दूसरी खाट बिछा दूँ।

   इस तरह दादी की सारी चीजें बदल गयी। खाना, कपड़ा, चादर, बिछोना आदि। .... दादी लड़की को मन ही मन आशिर्वाद देने लगी। लड़की की चतुराई से बूढी माँ जी का जीवन सुधर गया !

सीख - लड़की अगर सास को कोरा उपदेश देती तो क्या वह उसकी बात मान लेती ? बातों का असर नहीं पड़ता, आचरण का असर पड़ता है। इस लिए लड़कियों को चाहिये कि ऐसी बुद्धिमनी से सेवा करें और सब को राजी रखें। 

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