Tuesday, November 11, 2014

Hindi Motivational Stories........कुछ ऐसा भी होता है।

कुछ ऐसा भी होता है। 

     बहुत पुरानी बात है लेकिन आज भी इस तरह का अनुभव हम कभी कभी करते है। सन्त-महात्माओं को हमारी विशेष गरज रहती है। जैसे माँ को अपने बच्चे की याद आती है। बच्चे को भी भूख लगते ही माँ स्वम् चलकर बच्चे के पास आती है, ऐसे ही सन्त-महात्मा सच्चे जिज्ञासुऔ के पास खिचे चले आते है। इस विषय में कहानी भी है। …

   एक गृहस्थ बहुत ऊँचे दर्जे के तत्वज्ञ, जीवन्मुक्त, महापुरुष थे। वे अपने घोड़े पर चढ़कर किसी गॉव जा रहे थे। चलते - चलते घोडा एक जगह रास्ते पर मूड गया और चलने लगा गृहस्थ ने बहुत कोशिश की सीधे रस्ते चलने की लेकिन घोडा नहीं माना तो गृहस्थ ने सोचा अच्छा ठीक है आज तेरी जहाँ से मर्जी हो वहा से जायेंगे ये कहा कर गृहस्थ फिर घोड़े पर सवार हुवे और घोड़े की दिशा में चलने लगे घोडा आगे जाकर एक घर के सामने रुख गया गृहस्थ घोड़े से उत्तर कर घर के अन्दर चले गये। वहा एक सज्जन मिले। और सज्जन ने इस महापुरुष का सम्मान और आदर-सत्कार किया। सज्जन इस गृहस्थ को जानते थे। और उनके मन में बहुत उत्कण्ठा थी महापुरुष से मिलकर कुछ साधना की बाते करू। और आज तो गंगा खुद चलकर उनके घर आयी थी। सो सज्जन ने बहुत से प्रश्न किये और जिसका उन्हें संतोष जनक उत्तर मिला। फिर सज्जन ने गृहस्थ सन्त को भोजन कराया। उसके बाद गृहस्थ सन्त ने कहा अच्छा अब आज्ञा दीजिए और कोई बात हो तो निसंकोच पूछे और यह मेरा पता है। आप आना या फिर समाचार दे तो मैं खुद आ जाऊंगा। सज्जन ने कहा 'महाराज इस बार कैसे आप आये तो सन्त ने कहा मेरा घोडा अड़ गया। अच्छा तो फिर जब आपका घोडा अड़ जाय तो फिर आना।

   कहने का भाव ये है की सच्ची जिज्ञासा होती है तो सन्तो का घोडा अड़ जाता है।

सीख - सन्तो की बात क्या ! स्वम् भगवान के कानो में भी सच्ची पुकार तुरन्त पहुँच जाती है और वे किसी सन्त के साथ हमारी भेट करा देते है।
सच्चे ह्रदय से प्रार्थना जब भक्त सच्चा गाय है। 
तो भक्त-वत्सल कान में वह पहुँच झट ही जाय है।।

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