Friday, November 14, 2014

Hindi Motivational stories........ ढूढ उदेश्य से सम्पूर्णता की ओर !

ढूढ उदेश्य से सम्पूर्णता की ओर !

    बहुत पुरानी बात है। एक भक्त इमली के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान का भजन कर रहा था। एक दिन अचानक घूमते घूमते वहाँ नारदजी महाराज आ गये। उस भक्त ने नारद जी से कहा की ,"जब आप भगवान से मिलेंगे तो उनसे कहा देना वो कब मुझे मिलेंगे " नारद जी भगवान के पास गये और बताया की ऐसी ऐसी जगह पर एक भक्त है और उसने पूछा है आप कब उसे मिलेंगे ? तो भगवान ने कहा - उसे कहो की उस पेड़ के जितने पत्ते है उतने जन्मो के बाद मैं मिलूँगा। ये बात सुनकर नारद जी उदास हो गये। और कुछ समय बाद वो उस भक्त से मिले लेकिन भगवान ने क्या कहा ये नहीं बताया। पर भक्त ने बहुत आग्रह किया और पूछा तब नारद जी ने कहा ,"सुनकर क्या करोगे आप आतश हो जाओगे इसलिए नहीं बता रहा हूँ " लेकिन भक्त ने प्रार्थना किया जो भी हो जैसे भगवान ने कहा है वैसे बता दे महाराज !

  नारदजी भक्त की विनती सुनकर आखिर बता ही दिया ,"भगवान ने कहा है इस पेड़ के जितने पत्ते है उतने जन्मो के बाद में वो आप से मिलेंगे " भक्त ये सुनकर ख़ुशी से नाचने लगा और मुख से कहने लगा ,"भगवान ने कहा वो मिलेंगे तो जरुरु मुझे मिलेंगे उनका वचन सिद्ध होता है , वो मुझे मिलेंगे भगवन मुझे मिलेंगे .......... ऐसी अनहद आनंद में वो मगन हो नाचते हुवे ख़ुशी में मगन हुआ। और उतने में वहाँ पर भगवान भी आ गये।

   भगवान को वहाँ देखकर नारदजी बहुत दांग रह गए। और कहने लगे भगवान आपको आना ही था तो फिर मुझ से ये क्यों कहा की इतने जन्मो के बाद मिलूँगा , इस पर भगवान ने कहा नारद जिस वक्त अपने मुझे पूछा था उस वक्त इस की अवस्था पुरुषार्थ का ठीक वैसे ही था ,लेकिन जैसे ही अपने मेरी बाद भक्त को बता दी तो उसका रफ़्तार बहुत तेज हुआ पुरुषार्थ का जिस के वजह से मैं खींचे आ रहा हूँ। मेरा तो क्या है जैसी भक्त और उसका भावना और ढूढ उदेश हो मैं अपने आप आ जाता हूँ।  जो जितना सिद्दत से उत्साह से याद करता उतना ही जल्दी मैं उस से मिलता।

सीख - हम जीतना आनंद , उत्साह और लगन  वस्तु की या ईश्वर की चाहत करेंगे वो उतना ही जल्दी हमें प्राप्त होगी................ 

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