Sunday, November 16, 2014

Hindi Motivational stories... राम और हनुमानजी की सेवा

               राम और हनुमानजी की सेवा 

          एक बार ऐसा हुआ की भारत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न तीनों भाई मिलकर माता सीताजी से विचार किया कि  हनुमान जी राम जी सेवा करते है और हमें सेवा का मौका नहीं मिलता इसलिए आज से हम तीनों भाई मिलकर राम जी की सेवा करेंगे। सीता माता ने कहा ठीक है। और दूसरे दिन जब हनुमानजी आये तो उन्हें कोई सेवा नहीं दी गई। और कहा की आज आपके लिए कोई सेवा नहीं है रामजी की सेवा सब को बाँट दी गयी है। हनुमान जी ने देखा की प्रभु राम जी जम्भाई आने पर चुटकी देकर कम करने की सेवा किसी ने नहीं ली है। सो हनुमानजी राम जी के पास खड़े रहे।

           जब रात हुई तो तीनो भाईयो ने हनुमान जी को बहुत समझाया की अब घर जाओ रामजी को सोने दो और हम उनकी सेवा में है। हनुमान जी ने कहा ठीक है और वो छत पर जाकर बैठ गये और चुटकी बजाने लगे। और जब सब चले गये तो सीता माता सेवा में आ गयी। और उन्होंने देखा की राम जी का मुँह खुला का खुला ही है। वे घबरा गई और सब को बूलाने लगी कुछ ही देर में सब आ गये। सब ने बहुत प्रयास किया की रामजी का मुख बंद हो पर सफल नहीं हो पाये। वैद जी को बुलाया गया पर कुछ नहीं हुआ। वासिष्ठ जी आये तो उनको  आश्चर्य हुआ कि ऐसी चिन्ताजनक समय पर हनुमानजी दिखायी नहीं दे रहे है। उस समय सब को हनुमान जी याद आयी तो हनुमानजी को ढूंढने लगे पता चला कि वो तो छत पर ही बैठकर चुटकी बजा रहे है। उन्हें बूलाया गया और जैसे ही हनुमान जी चुटकी बजाना बंद किया तो राम जी का मुख अपने आप बंद हो गया।

   सीख - अब सब की समझ में आया कि यह सब लीला हनुमानजी के चुटकी बजाने के कारण ही थी ! भगवान ने ये लीला इसलिये की थी कि जैसे भूखे को अन्न देना ही चाहिये, ऐसे ही सेवा के लिये आतुर हनुमानजी को सेवा का अवसर देना ही चाहिये, बंद नहीं करना चाहिये। फिर तीनों भाईयो ने कभी ऐसा आग्रह नहीं किया।

      

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