Monday, December 8, 2014

Hindi Motivational Stories...भगवान किसके दास है।

भगवान किसके दास है। 

          वृन्दावन में एक भक्त को बिहारीजी के दर्शन नहीं हुए। लोग कहते कि अरे ! बिहारी जी सामने ही तो खड़े है। पर वह कहता कि भाई ! मेरे को तो नहीं दिख रहे ! इस तरह तीन दिन बीत गये पर दर्शन नहीं हुए। उस भक्त ने ऐसा विचार किया कि सब को दर्शन होते है लेकिन मुझे ही दर्शन नहीं होता। मैं बहुत बड़ा पापी हूँ इस लिये भगवान के दर्शन नहीं हो रहे है। अंतः मुझे तो यमुना नदी में डूब जाना चाहिए ! ऐसा सोच कर वह रात्रि को डूबने का प्लान बनाया। और रात्रि में वह यमुना नदी की तरफ जाने लग। और वहाँ एक कोढ़ी सोया था उसको सपना आया जिस में भगवान ने कहा कि जो व्यक्ति अभी आपके पास से जायेगा उसका पैर पकड़ लो और उसकी कृपा से तुम्हारा कोढ़ टिक हो जायेगा। वो व्यक्ति उठकर बैठ गया।

    जैसे ही भक्त वहाँ से जाने लगा तो कोढ़ी ने उसका पैर पकड़ लिया और कहा कि मेरा कोढ़ दूर करो।  भक्त कहने लगा मैं तो पापी हूँ ठाकुरजी मुझे दर्शन भी नहीं देते ! में तो पापी हूँ। बहुत कोशिश की भक्त ने लेकिन कोढ़ी ने नहीं माना। व्यक्ति कहने लगा आप एक बार कह दो कोढ़ दूर हो। बस आखिर भक्त उसका पीछा छुड़ाने के लिये भक्त ने कहा दिया आपके कोढ़ दूर हो जाय। जैसे ही भक्त ने कहा उसी क्षण उसके कोढ़ दूर हो गए। और उस व्यक्ति ने बताया भक्त को कि ऐसा करने के लिए ठाकुरजी ने ही मेरे सपने में आकर बताया था। यह सुनकर भक्त ने सोचा आज नहीं कल मरूँगा। और आगे बड़ा तो ठाकुरजी उनके समाने आ गए। तो भक्त ने पूछा ठाकुरजी आपने पहले दर्शन क्यों नहीं दिया ?
 
     ठाकुरजी ने कहा कि तुमने उम्र भर मेरे सामने कोई माँग नहीं रखी, मेरे से कुछ चाहा नहीं : अंतः मैं तुम्हारे सामने कैसे आता ! अब तुमने कह दिया कि इसका कोढ़ दूर कर दो, तो अब मैं तुम्हारे सामने आया।

इसका मतलब हुआ कि जो, कुछ भी नहीं चाहता, भगवान उसके दास हो जाते है।

हनुमानजी ने भगवान का कार्य किया तो भगवान उनके दास हो गए - ' सुनु सूत तोहि उरिन मैं नाही '

सीख - सेवा करने वाला बड़ा हो जाता है और करानेवाला छोटा हो जाता है। परन्तु भगवान और उनके प्यारे भक्तों को छोटे होने में शर्म नहीं आती। वे जान करके छोटे होते है।  छोटे होने पर भी वास्तव में वे छोटे होते नहीं और उनमें बड़प्पन का अभिमान होता ही नहीं। 

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