Thursday, March 24, 2016

नकारात्मक और सकारात्मक सोच



 आप सब ने नकारात्मक और सकारात्मक सोच के बारे में न केवल ढेर सारे लेख ही पढ़े होंगे, बल्कि जीवन-प्रबंधन से जुड़ी छोटी-मोटी और मोटी-मोटी किताबें भी पढ़ी होंगी। जब आप इन्हें पढ़ते हैं, तो तात्कालिक रूप से आपको सारी बातें बहुत सही और प्रभावशाली मालूम पड़ती हैं और यह सच भी है। लेकिन कुछ ही समय बाद धीरे-धीरे वे बातें दिमाग से खारिज होने लगती हैं और हमारा व्यवहार पहले की तरह ही हो जाता है।

इसका मतलब यह नहीं होता कि किताबों में सकारात्मक सोच पर जो बातें कही गई थीं, उनमें कहीं कोई गलती थी। गलती मूलतः हममें खुद में होती है। हम अपनी ही कुछ आदतों के इस कदर बुरी तरह शिकार हो जाते हैं कि उन आदतों से मुक्त होकर कोई नई बात अपने अंदर डालकर उसे अपनी आदत बना लेना बहुत मुश्किल काम हो जाता है लेकिन असंभव नहीं। लगातार अभ्यास से इसको आसानी से पाया जा सकता है।

महसूस करते हैं कि हमारा जीवन मुख्यतः हमारी सोच का ही जीवन होता है। हम जिस समय जैसा सोच लेते हैं, कम से कम कुछ समय के लिए तो हमारी जिंदगी उसी के अनुसार बन जाती है। यदि हम अच्छा सोचते हैं, तो अच्छा लगने लगता है और यदि बुरा सोचते हैं, तो बुरा लगने लगता है। इस तरह यदि हम यह नतीजा निकालना चाहें कि मूलतः अनुभव ही जीवन है, तो शायद गलत नहीं होगा। 
 

आप थोड़ा सा समय लगाइए और अपनी जिंदगी की खुशियों और दुःखों के बारे में सोचकर देखिए। आप यही पाएंगे कि जिन चीजों को याद करने से आपको अच्छा लगता है, वे आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देती हैं और जिन्हें याद करने से बुरा लगता है, वे आपकी जिंदगी को दुखों से भर देती हैं।

आप बहुत बड़े मकान में रह रहे हैं लेकिन यदि उस मकान से जुड़ी हुई स्मृतियां अच्छी और बड़ी नहीं हैं तो वह बड़ा मकान आपको कभी अच्छा नहीं लग सकता। इसके विपरीत यदि किसी झोपड़ी में आपने जिंदगी के खूबसूरत लम्हे गुजारे हैं, तो उस झोपड़ी की स्मृति आपको जिंदगी का सुकून दे सकती हैं।

इस बारे में एक कहानी है- एक सेठजी प्रतिदिन सुबह मंदिर जाया करते थे। एक दिन उन्हें एक भिखारी मिला। इच्छा न होने के बाद भी बहुत गिड़गिड़ाने पर सेठजी ने उसके कटोरे में एक रुपए का सिक्का डाल दिया। सेठजी जब दुकान पहुंचे तो देखकर दंग रह गए कि उनकी तिजोरी में सोने की एक सौ मुहरों की थैली रखी हुई थी। रात को उन्हें स्वप्न आया कि मुहरों की यह थैली उस भिखारी को दिए गए एक रुपए के बदले मिली है।


जैसे ही नींद खुली वे यह सोचकर दुखी हो गए कि उस दिन तो मेरी जेब में एक-एक रुपए के दस सिक्के थे, यदि मैं दसों सिक्के भिखारी को दे देता तो आज मेरे पास सोने की मुहरों की दस थैलियां होतीं। अगली सुबह वे फिर मंदिर गए और वही भिखारी उन्हें मिला। वे अपने साथ सोने की सौ मुहरें लेकर गए ताकि इसके बदले उन्हें कोई बहुत बड़ा खजाना मिल सके। उन्होंने वे सोने की मुहरें भिखारी को दे दीं।

वापस लौटते ही उन्होंने तिजोरी खोली और पाया कि वहां कुछ भी नहीं था। सेठजी कई दिनों तक प्रतीक्षा करते रहे। उनकी तिजोरी में कोई थैली नहीं आई। सेठजी ने उस भिखारी को भी ढुंढवाया लेकिन वह नहीं मिल सका। उस दिन से सेठजी दुखी रहने लगे। 
 

क्या आप यह नहीं समझते कि सेठजी ने यह जो समस्या पैदा की, वह अपने लालच और नकारात्मक सोच के कारण ही पैदा की। यदि उनमें संतोष होता और सोच की सकारात्मक दिशा होती तो उनका व्यक्तित्व उन सौ मुहरों से खिलखिला उठता। फिर यदि वे मुहरें चली भी गईं, तो उसमें दुखी होने की क्या बात थी, क्योंकि उसे उन्होंने तो कमाया नहीं था लेकिन सेठजी ऐसा तभी सोच पाते, जब वे इस घटना को सकारात्मक दृष्टि से देखते। इसके अभाव में सब कुछ होते हुए भी उनका जीवन दुखमय हो गया।

इसलिए यदि आपको सचमुच अपने व्यक्तित्व को प्रफुल्लित बनाना है तो हमेशा अपनी सोच की दिशा को सकारात्मक रखिए। किसी भी घटना, किसी भी विषय और किसी भी व्यक्ति के प्रति अच्छा सोचें, उसके विपरीत न सोचें। दूसरे के प्रति अच्छा सोचेंगे, तो आप स्वयं के प्रति ही अच्छा करेंगे। कटुता से कटुता बढ़ती है। मित्रता से मित्रता का जन्म होता है। आग, आग लगाती है और बर्फ ठंडक पहुंचाती है। 
 

सकारात्मक सोच बर्फ की डल्ली है जो दूसरे से अधिक खुद को ठंडक पहुंचाती है। यदि आप इस मंत्र का प्रयोग कुछ महीने तक कर सके तब आप देखेंगे कि आप के अंदर कितना बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन हो गया है। जो काम सैकड़ों ग्रंथों का अध्ययन नहीं कर सकता, सैकड़ों सत्संग नहीं कर सकते, सैकड़ों मंदिर की पूजा और तीर्थों की यात्राएं नहीं कर सकते, वह काम सकारात्मकता संबंधी यह मंत्र कर जाएगा। आपका व्यक्तित्व चहचहा उठेगा। आपके मित्रों और प्रशंसकों की लंबी कतार लग जाएगी।

आप जिससे भी एक बार मिलेंगे, वह बार-बार आपसे मिलने को उत्सुक रहेगा। आप जो कुछ भी कहेंगे, उसका अधिक प्रभाव होगा। लोग आपके प्रति स्नेह और सहानुभूति का भाव रखेंगे। इससे अनजाने में ही आपके चारों ओर एक आभा मंडल तैयार होता चला जाएगा। यही वह व्यक्तित्व होगा, जो अपने परीक्षण की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतरेगा-24 कैरेट स्वर्ण की तरह। 
 

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