Tuesday, May 1, 2018

Pyar aur Nafrat (प्यार और नफरत )

प्यार और नफरत 

नमस्कार मित्रो बहुत समय के बाद आप लोगो से रूबरू हो रहा हूँ और आज एक विचार आया की प्यार और नफरत इस विषय पर अपनी दिल कि बात लिखू काफी समय से इस बात को देखा मैंने जिन से प्यार करते है उनसे ही कभी नफरत होने लगती है। या वो हमसे नफरत करते है तब लगता है की हमने इनसे प्यार ही क्यों किया और मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है तब हमें अपने आप से और दुनिया से बहुत दुःख अनुभव होता है। प्यार जब हम करते है या कोई प्यार हमसे करता है तो प्यार नफरत मैं बदलता है आपेक्षाओ के कारण क्यों की हम खुद  या वो जो हमसे प्यार करता है तो नेचुरल कुछ अपेक्षाएं बन जाती है।

हमारी छोटी छोटी अपेक्षाएँ या मालिकानापन प्यार को नफरत मैं बदलता है ऐसे समय हमें जरुरत है की एक बार हम उन्हें बताये की बात ये थी जिस के कारण ये नहीं हुवा और आप शांत हो जाये सिर्फ बहार से नहीं लेकिन अंदर से भी क्यों की बहार से शांत रहना आसान है लेकिन अंदर से शांत होना मुश्किल है इस के लिए आपको खुद पर काबू रख अच्छे विचारो का मंथन करना होगा एक बात ये समझने की है प्यार हमें खुद से करना है दुसरो से सिर्फ अच्छा व्यवहार करना होता है लेकिन हम इसके बिलकुल उल्टा करते है हम प्यार दुसरो से करते है और व्यव्हार खुद से जिस की वजह से हमें लगता है मैंने तो इस से प्यार किया लेकिन ये मुझे  धोका देते है और नफरत आता है।

अब जब हमें किसी के लिए नफरत आता है तो हमें देखना होगा की वो नफरत किसी व्यक्ति विशेष पर न हो उसके औगुणो पर हो ऐसा सोच बनाने के लिए हमें बुद्धि से परिश्रम करना होगा तब ये संभव होगा आप सोच रहे होंगे लिखना और बोलना आसान है पर प्रैक्टिकल मैं करके देखो हाँ आपकी बात भी सही है।  हाँ मैंने एक बार कोशिश जरूर की है बहुत मेहनत लगता है पर अपने ऊपर बहुत ज्यादा अटेंशन देने पर कुछ समय के लिए संभव हो पाया और अगर निरंतर प्रयास करूँगा तो सदा के लिए संभव है।

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धन्यवाद 

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