Sunday, February 16, 2014

Hindi Motivational stories - " मूल्यों की धारणा "

मूल्यों की धारणा

             बरसात कि हल्की फुहार के बीच फिसलन भरे रास्ते पर दो साईकिल सवार सामने से आ रहे थे , और अचानक दोनों कि टक्कर होती है।  दोनों गिर जाते है।  एक जैसे तैसे खड़ा होता है और आँखे लाल करके दूसरे को कहता है -"अन्धा है क्या ? दिखाई नहीं देता तुझे ?

 
 
दूसरा भी तब तक खड़ा हो चूका था।  वह तैश में आकर कहता है। ।,"तू अन्धा ,तेरा बाप। …। ." अब मामला इतना गम्भीर हो जाता है कि अनेक लोगो को  बचाव करने के लिए एकत्रित होना पड़ता है।  थोड़ी देर बाद  उसी रास्ते पर दो और साइकिल सवार सामने से आ रहे थे। और अचानक उनकी भी टक्कर हो जाती है।  और दोनों गिर पड़ते है।  एक उठा , कपड़ो को टिक किया और दूसरे भाई की तरफ हाथ बढ़ाया - "भाई साहब ! माफ कीजिये। मेरी गलती से आप गिरे। " दूसरा उठकर मुस्कुराता है - " नहीं। . नहीं, मेरा हैण्डल ही टिक नहीं था।  "'दोनों ख़ुशी-ख़ुशी आगे अपना रास्ता तय करते है।

दोनों घटनाओं में सब कुछ समान होते हुए भी मूल्यों की व्यवहारिक धारणा के कारण इतना अन्तर नज़र आ रहा है।  तो आईये , प्रेम, शांति , सदभावना , नम्रता , सत्यता का पाठ पढ़े , जीवन में उतारे और सुखी समाज निर्माण करे।

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