" कुलदीपक "
कुछ सालो कि ही ये बात है एक बहुत ही माद्यम वर्ग का परिवार था सोहन सिंह और उनकी पत्नी सोनी सिंह
सोहन सिंह एक क्लर्क का काम करते थे और पत्नी घर संभालती थी खुशाल परिवार
था उनका एक लड़का दीपक नाम का पाचवी कक्षा में पढता था सब कुशलमंगल चल रहा
था। … और एक दिन सोहन सिंह को फ़ोन आता है स्कूल से कि आपका लड़का सिगरेट
पीते हुवे पकड़ा गया है ये आपके लिए आखरी सलाह है अगर इस के बाद आपका लड़का
सिगरेट पीते हुवे दिखायी दिया तो उसे स्कूल से निकाल दिया जायेगा। .
बस फिर क्या था सोहन सिंह को एक जोर का ज़टका लगा, और दीपक के घर आते ही
सोहन सिंह लड़के से पूछ लिया कि 'दीपक क्या तुम स्कूल से सिगरट पिटे हो ?.
दीपक धीमे आवाज़ में बोलता है "नहीं पापा "
सोहन सिंह दीपक से प्यार बहुत करते है पर उसका लड़का इस तरह कि हरकत करे ये
उसे बिलकुल पसंद नहीं था सो सोहन सिंह ने लड़के को कहा "देखो दीपक अगर ये सच
है तो आज के बाद कभी नहीं पीना और अगर फिर से मेरे पास तेरी सिकायत आयी तो
समझ लेना मुझ से बुरा कोई नहीं समझे " दीपक " जी पापा "
दीपक पर अपने पिताश्री कि बात का असर कुछ दिनों तक रहा पर कुछ महीनो बाद वह
फिर अपने दोस्तों के संग में आ गया और सिगरेट का आधी हो गया और अब वो देर
रात तक अपने दोस्तों साथ रहने लगा। .
पहले दोस्तों ने पिलायी और अब दोस्तों ने कहा दीपक को अब तुम कभी पिलाया
करो। . दीपक जनता था उसके पास पैसे नहीं है और घर से भी नहीं मिलेंगे सो एक
दिन दोस्तों के कहने पर वो घर से पैसे चुराकर ले जाता है और दोस्तों के
साथ मिलकर नशे में पुरे पैसे उड़ा देता है और ये बात पिताश्री को मालूम हो
जाती है
अब दीपक के पिता दीपक का इंतज़ार में है उस दिन दीपक बहुत देर रात को घर आता
है दीपक कि हालत देख सोहन सिंह बहुत क्रोधित हो जाते है और दीपक को बहुत
पीटते है और उस का असर सोहन सिंह पर ऐसा होता है कि सोहन सिंह दिल के मरीज
हो जाते है और अपने इकलौते बच्चे कि ये दशा देख उन्हें गहरा सदमा लगता है
और कुछ दिनों में वो हॉस्पिटल में रहते इलाज चलते ही उनका दम निकल जाता है
और दीपक अकेला हो जाता है अब उसके घर में पैसो कि कमी और घर में माँ अकेली
क्या करती , दीपक पिता के मौत के बाद मायूस रहता और नशा का अदात के कारन
वो अब दोस्तों के साथ मिलकर चोरी करना सिख लिया था और वो चोरी के पैसे से
अपना नाश करता और एक दिन अचानक पुलिस आकर दीपक को ले जाती है ये बात जब माँ
को मालूम होता है तो माँ अपने घर के सामान और गेहने बेचकर दीपक को छुड़ा
लती है । अब सब कुछ
ख़त्म हुवा और माँ दीपक को कहती है "अब मेरे पास कुछ भी नहीं है मेरे पास जो
कुछ था वो सब मैंने तेरे लिए लगा दिया दीपक बेटे अब तो तू अच्छा बनेगा ना
तू मेरा राजा बेटा है तुम इस कुल के दीपक हो बेटे। मुझे पूरा विश्वास है
तुम एक दिन बहुत अच्छे बन जायोगे।" . माँ कि बात सुनकर दीपक के आखो में असू
आ गए और वो माँ के सीने से लग जाता है और मन ही मन प्रतिज्ञा करता है आज
से एक अच्छा इंसान बनाने का … और माँ से कहता है माँ आज से तू जैसा चाहती
है वैसे ही करूँगा, माँ मुझे माफ़ कर दे। ....
सार - दोस्तों ये कहानी हमें बताती है कि नशा चाहे कोई भी हो वह हमें
बर्बाद कर देती है इस लिए समय रहते ही इस से बचना है जब सब कुछ लूट जाता है
और उस के बाद हम छोड़ दे तो कोई बड़ी बात नहि…
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