नाम मान शान क्या करनी........
बाबा तेरे प्यार का सहारा काफ़ी है
ये महल अलमारी नहीं चहिये
तेरे दिल में गुज़ारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
बाबा तेरे प्यार का सहारा काफ़ी है
ये महल अलमारी नहीं चहिये
तेरे दिल में गुज़ारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
मेरे बाबा मुझे तेरी क़सम
मेरा प्यार भी तू, ईमान भी तू
तेरे दम से है मेरा दम
ज्ञान भी तू, ध्यान भी तू
ऐसा वैसा क्या करना मुझे
मुझे तेरा नज़ारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
मेरा प्यार भी तू, ईमान भी तू
तेरे दम से है मेरा दम
ज्ञान भी तू, ध्यान भी तू
ऐसा वैसा क्या करना मुझे
मुझे तेरा नज़ारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
प्यार मुहब्बत से दुनिया में
कुछ बढ़कर होता भी नहीं
ये बात तूने मुझे सिखाई
प्यार बिना तेरे, कुछ होता नहीं
ऐशो आराम नहीं चहिये मुझे
तेरे याद का सहारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
कुछ बढ़कर होता भी नहीं
ये बात तूने मुझे सिखाई
प्यार बिना तेरे, कुछ होता नहीं
ऐशो आराम नहीं चहिये मुझे
तेरे याद का सहारा काफ़ी है
नाम मान शान क्या करनी.....
रमेश
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