क्रिसमस कि कहानी यहाँ से सुरु होती है। ..........
क्राइस्ट के जन्म के संबंध में नए टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से
स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक
कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को
बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा
जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएँ नहीं
होंगी। देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक
बच्चे को जन्म देगी, और उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे व उसका
परित्याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के
अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए
रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मैरी ने आधी रात को
जीसस को जन्म दिया तथा उसे एक नाँद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के
पुत्र जीसस का जन्म हुआ।
सान्ताक्लॉज़ ........
सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सान्ताक्लॉज़, लाल रंग व सफ़ेद रंग का
ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार
होता है, तथा समारोहों में, विशेष कर बच्चों के लिए एक महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट,
उपहार व अन्य वांछित वस्तुएँ लाता है, जिन्हें वह संभवत: रात के समय
उनके जुराबों में रख देता है।
भारत में विशेषकर गोवा में कुछ लोकप्रिय चर्च हैं, जहाँ क्रिसमस बहुत जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व पुरतगली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे।
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद, जिसे समारोह का एक अनिवार्य भाग
माना जाता है, शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन
वस्त्र पहने बच्चे ड्रम्स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्ट्रा के साथ चमकीली
छडियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं।
क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्यार व
भाईचारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं। क्रिसमस ट्री अपने वैभव के लिए
पूरे विश्व में लोकप्रिय है। लोग अपने घरों को पेड़ों से सजाते हैं तथा हर
कोने में मिसलटों को टांगते हैं।
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