" आज्ञा - भंग की सजा "
इस संसार में बहुत से लोग ऐसे हुए है जिनका जीवन जीने का एक खास मक़सद रहा और वो जो कहते उसे किसी भी हाल में वे पूरा करते चाहे उस के लिए उन्हें किसी कि जान भी लेना पड़े तो वे पीछे नहीं हटते अपने नेपोलियन का नाम सुना होगा।उन्ही के जीवन का एक प्रसंग में यह आपको सुना रहा हूँ।
विश्व विजेता बनने का स्वप्न देखने वाला नेपोलियन एक दिन अपनी विराट सेना के साथ शत्रु पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ रहा था। एक जंगल में उनका पड़ाव था। संध्या होते ही नेपोलियन ने आज्ञा फरमाई ,ब्लैक आउट (सम्पूर्ण अंधकार ), कोई भी सैनिक रात्रि में दीपक नहीं जलाएगा। सभी सैनिकों ने स्वामी कि आज्ञा शिरोधार्थ की। नेपोलियन, भेष बदलकर सभी तम्बुओ का रात्रि में निरीक्षण करने लगा। अचानक एक तम्बू में उसे प्रकाश दिखाई दिया , निकट जाकर देखा कि एक सैनिक मोमबत्ती के प्रकाश में कुछ लिख रहा था। नेपोलियन ने सिंह -सी गर्जना करते हुए पूछा - क्या कर रहे हो ? मेरी आज्ञा नहीं सुनी थी ? सैनिक काँपने लगा। थरथराती आवाज़ में बोला - सुनी तो थी पर मुझे क्षमा करें , पत्नी की अचानक याद आ गई , तो उसे पत्र लिखने बैठ गया। नेपोलियन ने कहा - ठीक है , अब पत्र में इतना जोड़ दो कि मैंने आज्ञा -भंग करके यह पत्र लिखा है और आज्ञा भंग की सजा में मुझे मौत मिल रही है। मेरा यह अन्तिम पत्र है, अब में तुम्हे इस दुनिया में नहीं मिल पाउँगा। बेचारा सैनिक क्या करता ! नेपोलियन की आज्ञा से उसे पत्र में इतना और जोड़ना पड़ा। पत्र पूरा होते ही नेपोलियन ने उसे गोली से उड़ा दिया।
सीख - किसी भी तरह का आज्ञा हो उसको तोड़ने या भंग करने से उसकी सजा मिलती ही है चाहे सहकार रूप में या शुक्ष्म रूप में ही क्यों न हो मिलती ही है। … इस लिए आज्ञा को मानकर जीवन जिये।
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