Tuesday, November 12, 2013

"कभी अपने देखा सूरज को ढालते "




कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते
अगर आप गौर से देखेंगे तो
शयद एक बात है इस चित्र में
गुड इवनिंग के बजाय गुड मॉर्निंग
लिखते तो शयद आपको वो भी सही लगता
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते

बड़ी अजीब सी बात है
सूरज ना उगता है ना डलता है
लोग उगते (उठाते ) है लोग सो (डालते ) जाते है
सूरज न उगा है न डूबा है वो तो सदा प्रकाशित है
अब कि बार सूरज को देखो तो
साथ साथ अपने जमीन को देखो
सत्या का परिचय मिल जायेगा
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते
सूरज ना आया है ना जायेगा
आदमी इस संसार में आता है
और आदमी इस संसार से जाता है
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते 
 
 
रमेश 
 

No comments:

Post a Comment