Wednesday, January 15, 2014

पतंग - आज पतंग अलग ही नजर आ रही (patang)

पतंग




इस सुहानी धूप में
आज पतंग अलग ही नजर आ रही ,
मन मनो कह रहा हें
आज मै इस गगन में झूम - झूम नाचू
इधर जाउ उधर जाऊ
इस पार  जाऊ उस पार  जाऊ
आज  इस खुदरत की गोद में जाकर बैठ जाऊ 
और सबको अपना गीत सुनाऊ
और ये पतंग उड़ाने का अनुभव इतना सुंदर हें मानो
इश्वर का बार बार धन्यवाद है जो पतंग बनाया
जिसमे चार चाँद और लग जाते तब
जब इस सुनहरी धूप में , मै असमान में उडाता हुवा पतंग देखता हु
और अपनी बाहों को फेलाकर तब नाचता हू
और इस पतंग की डोर लेकर इस
जहा मै मदहोश हो जाता हु
इस सुहानी धूप में
आज पतंग अलग ही नजर आ रही

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