" निश्चय में विजय है "
दूर एक गाँव में एक पति -पत्नी का आपस में बहुत प्यार था।
एक बार वे दोनों जहाज़ पर सफ़र कर रहे थे।
एक बार वे दोनों जहाज़ पर सफ़र कर रहे थे।
अचानक समुद्र में तूफान उठा और सब घबरा ने लगे।
पत्नी ने देखा कि उसका पति एकदम निर्भीक होकर
पत्नी ने देखा कि उसका पति एकदम निर्भीक होकर
बैठा है। उसने पूछा - आपको डर नहीं लग रहा है ?
पति ने तुरंत म्यान से तलवार निकली और पत्नी कि गर्दन
पति ने तुरंत म्यान से तलवार निकली और पत्नी कि गर्दन
पर रख दी और पूछा बताओ तुम्हे ड़र लग रहा है ?
तो पत्नी ने जवाब दिया कि मुझे मालूम है कि आपको मुझ
से बहुत प्यार है , इस लिए आप मेरी गर्दन नहीं काट सकते है।
तब पति ने कहा इतना ही निश्चय , इतना ही
तब पति ने कहा इतना ही निश्चय , इतना ही
विश्वास मुझे परम पिता परमात्मा में है।
मेरा किसी भी बात में ,
किसी भी कारण से अकल्याण नहीं हो सकता।
मेरा किसी भी बात में ,
किसी भी कारण से अकल्याण नहीं हो सकता।
इस लिए कहा जाता है निश्चय में ही विजय है
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