स्वमान कि जागृति
एक दिन आरब बादशाह नशाखान से मिलने के लिए एक आरब आ पहुंचा।
और आरब बादशाह के महल के पास आया तो प्रवेश द्वार पर ही उसे रोक दिया गया।
तब आरब ने थोड़े इंतज़ार के बाद उसने बादशाह के नाम एक चिट्ठी लिखी कि
" में एक दिन हीन आरब हुँ और आपसे मिलाना चाहता हुँ। "
दरबान ने जाकर चिट्ठी बादशाह को दे दी , उसे अन्दर बुलवा लिया गया।
तब आरब अन्दर गया और अन्दर जाते ही बादशाह नशाखान
और आरब बादशाह के महल के पास आया तो प्रवेश द्वार पर ही उसे रोक दिया गया।
तब आरब ने थोड़े इंतज़ार के बाद उसने बादशाह के नाम एक चिट्ठी लिखी कि
" में एक दिन हीन आरब हुँ और आपसे मिलाना चाहता हुँ। "
दरबान ने जाकर चिट्ठी बादशाह को दे दी , उसे अन्दर बुलवा लिया गया।
तब आरब अन्दर गया और अन्दर जाते ही बादशाह नशाखान
ने पहला ही सवाल किया - तुम कौन हो ?
और आरब ने नशे से उत्तर दिया जहाँपनाह , में एक महान आरब हुँ।
और आरब ने नशे से उत्तर दिया जहाँपनाह , में एक महान आरब हुँ।
बादशाह चौक कर बोले अरे भाई ! तुमने चिट्ठी में तो लिख भेजा था कि तुम एक दिन हीन आरब हो।
और यहाँ आते ही तुम्हारी भाषा बदल गई ?
आरब ने स्वमान युक्त नशे से जवाब दिया।
"जब में बादशाह नशाखान से दूर था तब एक मामूली-सा आरब था लेकिन अब में स्वयं बादशाह के साथ हुँ तो महान आरब बन गया हुँ।"
और यहाँ आते ही तुम्हारी भाषा बदल गई ?
आरब ने स्वमान युक्त नशे से जवाब दिया।
"जब में बादशाह नशाखान से दूर था तब एक मामूली-सा आरब था लेकिन अब में स्वयं बादशाह के साथ हुँ तो महान आरब बन गया हुँ।"
सीख - हम को सदा स्वमान के नशे में रहना है . इस से हमें याद रहता है हम कौन और हमारा कौन है
हम सब उस ईश्वर कि संतान है तो खुद को ईश्वर का बच्चा समझ अच्छे कर्म करते जाए. .
बाकि व्यसनों का नशा कभी मत करना उससे खुद का और ईश्वर का नाम बदनाम होता है।
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