Friday, February 14, 2014

Hindi Motivational stories - " ईमानदारी ही महानता है "

" ईमानदारी ही महानता है "

आचार्य चाणक्य मगध साम्राज्य के स्थापक और सबकुछ थे।
 उन्हें राजनीति के प्रवर्तक भी माने जाते है। वे पुरे साम्राज्य का संचालन भी करते थे। 
 उनके इशारे पर चंद्रगुप्त कार्य करते थे।  उनकी बुद्धि और सूझबूज से मगध सम्राट संतुष्ट थे।  
इतने बड़े राज्य का संचालक होने के बाद भी चाणक्य स्वम साधारण -सा जीवन जीते थे 
और घास -फूस  की बनी एक झोपड़ी में रहते थे। 
 कई विदेशी लोग भी उनसे मिलते और उनकी सादगी और पवित्र आचरण को देख कर दंग रह जाते। 

 

और एक बार फहियान ने मगध देश में आचार्य चाणक्य कि प्रशंसा सुनी ,
 तो वह उनसे मिलने राजधानी में आ पहुँचा।  और उस समय रात हो चुकी थी।
  और उस समय चाणक्य अपना कार्य कर रहे थे।  तेल का एक दीपक जल रहा था। 
चाणक्य आगंतुक को जमीन पर बिछे आसान पर बैठने का अनुरोध किया। 
 फिर वहाँ जल रहे दीपक को बुझा दिया , अन्दर गए और दूसरे दीपक को जला कर ले आए। 
 आगंतुक विदेशी व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया। 
 वह इस रहस्य को नहीं समझ सका कि जलते दीपक को बुझाकर , बुझे हुए दूसरे दीपक को जलाना ,यह कैसी बुद्धिमानी हो सकती है ? उसने संकोच करते हुए चाणक्य से पूछा - यह क्या खेल है ? 
जलते दीपक को बुझाना और बुझे दीपक को जलना ! 
जला था तो बुझाया ही क्यों और बुझाया तो जलाया ही क्यों ? रहस्य क्या है ? 
चाणक्य ने मुस्कुराते हुए कहा इतने देर से अपना निजी कार्य कर रहा था 
इसलिए मेरा दीपक जल रहा था , अब आप आये
 मुझे राज्य के कार्य में लगाना होगा , इसलिए यह सरकारी दीपक जलाया है। 
 आगंतुक चाणक्य  की इस ईमानदारी और सच्चाई  को देख बड़ा प्रभावित हुआ। 

सीख - व्यक्ति के जीवन में  ईमानदारी का एक गुण पूरी तरह से व्यक्ति को निखार देता है 
इस लिए ईमानदारी के गुण जीवन में अपनाकर अपना व्यक्तित्व निखारते जाए।

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