"जैसा बोलोगे ,वैसा ही सुनोगे"
एक पहाड़ी इलाके में एक झोपड़ी में एक गरीब माँ अपने १३ वर्षीय पुत्र के साथ रहती थी। वह लड़का प्रातः ही कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी काटने पहाड़ की घाटी में निकल जाता था और लकड़ी काटकर अपनी झोपड़ी में लाया करता था। ये उसका का काम था।
एक दिन घाटी में लकड़ी काटते समय लड़के ने जोर से आवाज़ लगाई आवाज़ घाटी से टकरा कर गुंजने लगी। उस लड़के ने समझा दूसरा लडक़ा भी यहाँ है जो उसे चिढ़ा रहा है। उसने जोर से बोला कि तुम कौन हो ? आवाज़ आई तुम कौन हो ? तब लड़के ने कहा तुम मुझे नहीं जानते ? तब आवाज़ गूँजी तुम मुझे नहीं जानते ? लड़के ने ललकारा - मै तुम्हें देख लूँगा ,तब आवाज़ आयी मै तुम्हें देख लूँगा। फिर लड़के ने कहा - मै कुल्हाड़ी से तुम्हारे टुकड़े - टुकड़े कर दूँगा। तब सामने से आवाज़ गूँजी - मै कुल्हाड़ी से तुम्हारे टुकड़े - टुकड़े कर दूँगा। अब उस बालक को निश्चय हो गया कि घाटी में दूसरा लड़का उसे चिढ़ा और धमका रहा है।
उसने वापस घर आकर वह घटना अपनी माँ को सुनाई तो उसकी माँ समझ गई। घाटी में आवाज़ टकरा कर आने की बात को लड़का नहीं समझा। तब माँ ने अपने बेटे से कहा - बेटा कल जब तुम लकड़ी लाने जाना तो उस लड़के से प्यार से बोलना फिर देखना क्या होता है ? दूसरे दिन घाटी में पहुँचते ही उसने आवाज़ लगाई - दोस्त मै आ गया हूँ तो आवाज़ आई दोस्त मै आ गया हूँ। फिर लड़का बोला, मै तुमसे प्यार करता हूँ ,हम और तुम एक परमात्मा के बच्चें हैं। तुम मेरे घर चलो। आवाज़ आई तुम मेरे घर चलो। वह लड़का बड़ा प्रसन्न होकर झोपड़ी में लौटा और सारी बात माँ से कह सुनाई कि वह लड़का अब मेरा दोस्त बन गया हैं। वो हमारे घर भी आयेगा और मै भी उसके घर जाऊँगा , तब माँ ने कहा बेटा जैसा व्यवहार तुम दूसरो से करोगे वैसा ही व्यवहार दूसरे भी तुम से करेंगे। जैसा बोलोगे वैसा सुनोगे। मिठे वचन अमृत समान है जिससे शत्रु भी मित्र बन जाते है।
सीख - इस छोटी सी कहानी से हम को एक बहुत बड़ी बात समझ में आती है कि अगर हम खुद सब से प्यार से बात करेंगे तो दूसरे भी प्यार से बात करेंगे तो यहाँ पर अगर हम आज से ही इस प्रक्टिस को बनाये कि मै सब से प्यार से बात करूँगा।।… तो आपको बहुत जल्दी सफलता हर क्षेत्र में मिलेगी।
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