Thursday, June 12, 2014

Hindi Motivational Stories.....मूल्यहीन वस्तु

मूल्यहीन वस्तु

      बहुत दिन पहले एक गुरु के पास दो शिष्य पढ़ते थे। एक का नाम था श्याम दूसरे का राम। दो - तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद गुरु ने उन्हें दो मास की छुट्टी दी। तब गुरु ने दोनों की बुद्धिमत्ता देखने के लिए कहा - बच्चों, ऐसी चीज़ को ढूंढ कर आओ जिसकी दुनिया में पाई की भी कीमत न हो। दोनों ने बात को मान लिया और वहाँ से चले। श्याम ने सोचा अभी दो महीने है फिर कभी सोच लेंगे। वह मित्र-सम्बन्धियों से मिला, बाते करने में और घर के कारोबार में जुट गया। राम यात्रा करने के विचार से काशी की ओर चल पड़ा। बार - बार गुरु का प्रश्न उसे याद आने लगा। बेचारे राम ने बहुत सोचा, ढूंढा। अनेक स्थानों पर गया, अनेक तरह के लोगों से उसकी मुलाकात हुई, पर उसे ऐसी कोई चीज दिखाई न दी कि जिसका दाम पाई का भी न हो। दिन बीतते गए और ढूंढ़ते-ढूंढ़ते थक गया। दो मास पूरा होने में केवल तीन-चार दिन ही बाकी रह गये तब राम गुरु के पास लौटने लगा। राम प्रश्न का उत्तर न पाने से उदास था। रास्ते में ही श्याम का गाँव था तो सोचा शायद उसे उत्तर मिला होगा और वह उसका घर ढूंढने लगा। एक घर पर उसे थोड़ी भीड़ दिखाई दी और शोर भी सुनाई दे रहा था। राम ने वहाँ चलकर देखा तो वहाँ पर एक आदमी का देहान्त हुआ था।

   घर के लोग रोने-पीटने लगे थे और गाँव के लोग उसे सजा रहे थे। कुछ देर में ही पता चला वह तो श्याम का पिता ही था। और जब शव को उठाते समय उसके सगे थोड़ी देर और रोकना चाहते थे लेकिन गाँव वालों ने जबरदस्ती शव को कंधे पर उठाये शमशान की ओर चल पड़े।

      ये सब देखकर राम को श्याम की कुछ बाते याद आये , एक बार श्याम ने कहा था - मेरे पिताजी बहुत दयालु है, उन्हें गाँव में सभी लोग प्यार करते है, सम्मान देते है। राम सोचने लगा जिसे कल तक प्यार से देखते थे वही आज उसे क्षण भर रखना नहीं चाहते। जिससे कल तक कुछ चाहते थे उससे आज कोई भी नहीं। कल तक जो कीमत था आज कुछ भी नहीं। तब उसे निश्चय हुआ कि दुनिया में मानव के निर्जीव शरीर की पाई की कीमत नहीं है। कोई उसे रखना भी नहीं चाहता।

   दूसरे दिन दोनों गुरु के पास पहुंचे। बेचारा श्याम तो गुरु का प्रश्न ही भूल चूका था। कहने लगा - मेरे पिता का देहान्त हुआ इसलिए मैं वह चीज़ ढूंढ न सका। राम ने जवाब दिया - गुरुवर, दुनिया में बिना दाम की चीज तो मानव का निर्जीव शरीर है। उसे तो बिना दाम के भी कोई रख नहीं सकता। उसके जवाब से गुरु ने खुश होकर कहा - शाबास बेटा !

सीख - मानव का यह शरीर विनाशी है। आत्मा अविनाशी है। जब तक आत्मा शरीर में है तब तक इस शरीर की कीमत है। आत्मा ही इस शरीर से सब कर्म करती है  न की शरीर। इस लिए कीमत आत्मा की है शरीर की नहीं। इस सत्य को जान कर मान कर कर्म करने से सुख शान्ति और प्रेम की अनुभूति होती है।

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