पहले जिस चीज़ को देखा वो फ़िज़ा तेरी थी
पहले जो कानो में आई वो सदह तेरी थी
पालना जिसने हिलाया वो हवा तेरी थी
जिसने गहवारे में चूमा वो सबाह तेरी थी
ए वतन हम तो अज़ल से तेरे शैदाई है
आँख जिस दिन से खुली तेरे तम्माना ही है
मुददत से तेरे जलवों के तमशाही है
हम तो बचपन से तेरे आशिक़ो सौदही है
पाई तिफनी से हर एक वान जहाँ में तेरी
बात टूटला के जो की भी तो ज़ुबान में तेरी
तुज़से मुहॅ मोड के मूह आपना दिखाएँगे कहाँ
घर जो छोड़ेंगे तो फिर चौनी चाहेंगे कहाँ
बस में अभी आराम भी पाएँगे कहाँ
तुझ से हम रूठ के जाए भी तो जाएँगे कहाँ
सारे जहाँ से अच्छा ... हिन्दुस्तान हमारा
हम बुलबुले है इस के यह ग़ुलिस्ता हमारा
सारे जहाँ से अच्छा ... हिन्दुस्तान हमारा
हम बुलबुले है इस के यह ग़ुलिस्ता हमारा
singer - kavitha seth
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