Thursday, March 13, 2014

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " जीवन में सन्तुलन "

जीवन में सन्तुलन

              इन्सान ने जीवन में सन्तुलन बहुत जरुरी है सन्तुलन के बिना जीवन खोकला हो जाता है। जैसे हमें बहुत ज्यादा ठंडी साहन नहीं होता, वैसे ही बहुत गरमी भी साहन नहीं होता इस लिए जब बहुत ठंडी होती है तो गरम कपड़ो का उपयोग करते है सन्तुलन के लिए और जब गरमी हो तो कूलर ,फंखे और हलके कपड़ो को पहनते है और ठंडी चीजे पीते और खाते है। जिस से सन्तुलन बना रहता है।

             एक बार महात्मा बुद्ध का एक शिष्य आनन्द , दीक्षा ग्रहण करते ही उग्र तपस्या में लीन हो गया। उसे तन की भी सुध नहीं थी। परिणाम स्वरूप तन सूख कर काँटा हो गया। एक दिन अचानक महात्मा बुद्ध कि नज़र आनन्द पर पड़ी। उन्होंने आनन्द  को बुलाया और पूछा - वत्स , पहले तो तुम वीणा अच्छी तरह  बजाते थे , तो लीजिये यह वीणा और एक राग बजाईये। तब आनन्द बोले  - भंते।  यह कैसे बजेगी ? इसके तो सभी तार ढीले है। फिर बुद्ध बोले - लाओ आनन्द , मै अभी वीणा के तारों को कस देता हूँ , फिर तू बजाना। बुद्ध ने सरे तार कस दिए और फिर आनन्द को दिया। जब दोबारा वीणा आनन्द के हाथों में आया तो फिर आनन्द उलझन में पड़ गया और बोले -  भंते , इसको यदि अभी बजायेंगे तो इसके सभी तार टूट जायेंगे क्यों कि ये बहुत ज्यादा तनावपूर्ण है। बुद्ध ने कहा - अच्छा , इसे ठीक कर लो और फिर बजाओ। और जब वादन क्रिया समाप्त हुई तो फिर बुद्ध ने आनन्द को एक और लेकर कहा - यह जीवन भी वीणा के तार की तरह है। जैसे वीणा के तार से धुन निकालने के लिए उसे मध्य अवस्ता में रखा जाता है।  न बहुत ढीले न बहुत तना हुआ।  इसी प्रकार, जीवन की वीणा से आनन्द, प्रेम, सुख - शान्ति के स्वर तभी झंकृत (बजने लगते है ) होते है , जब वह मध्य में हो, संतुलित हो।


सीख - भाव यह है कि जीवन के विभिन्न पहलुअों में जब तक सन्तुलन और आदर्श नहीं तो ख़ुशी और आनन्द की प्राप्ति नहीं हो सकती। 

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