स्व से विश्व परिवर्तन
ये कहानी शायद अपने सुनी भी होगी लेकिन मै फिर से सुनाना चाहूँगा ये कहानी बार बार सुनने से या पढने से मुझे प्रेरणा मिलती है तो हो सकता है, आपको भी प्रेरणा मिले।
एक बार एक बच्चा अपने पिता के कार्य में बाधा डाल रहा था, जो किसी आवश्यक कार्य में लगे हुए थे। पिताजी ने बच्चे को किसी कार्य में लगाना चाहा। सोचा ये व्यस्त रहेगा तो मै अपना कार्य आराम से करूँगा इस लिए उन्होंने मेज़ पर रखी हुई विश्व का मानचित्र उठाया और उसके छोटे- छोटे टुकड़े कर दिये और बच्चे को वो टुकड़े देकर कहा कि वह विश्व का मानचित्र बनाकर लाये।
अब बच्चा बहुत ही चतुर था। टुकड़ो को सही क्रम में लगाने से पहले उसने टुकड़ो को पीछे से देखना शुरु किया। जैसे ही उसने पीछे देखा तो एक टुकड़े पर मानव शरीर के अंग का छोटा सा हिस्सा दिखाई दिया। उसके मन में जिज्ञासा उठी और उसने सभी टुकड़ो को उल्टा करके फर्श पर रखा दिया तो उसे मानव के अलग अंग दिखायी दिए उसके बाद उसने मानव शरीर के हिसाब से सब टुकड़ो को मानव शरीर कि रचना के अनुसार जोड़ दिया। उसके बाद जब उसने फिर से उल्टा किया तो विश्व का मानचित्र तैयार था। तब वह भागता हुआ अपने पिताजी को दिखाने ले गया। जैसे ही पिताजी अपने बच्चे के हाथ में वह मानचित्र देखा तो आश्चर्यचकित हुए।
पिताजी : - ( आश्चर्यचकित होकर ) बेटा तुमने इतनी जल्दी विश्व का नक्शा कैसे बना दिया ?
पुत्र : - यह तो बहुत ही आसान है।
पिताजी : - लेकिन यह कोई इतना सरल कार्य नहीं था। मैंने तो विश्व के टुकड़े - टुकड़े कर दिए थे और
तुमने इतनी जल्दी कैसे जोड़ लिया ?
पुत्र : - मैंने 'व्यक्ति' को ठीक किया और 'विश्व' ठीक हो गया।
सीख - इसी तरह से यदि हम व्यक्ति के परिवर्तन का नक्शा तैयार करें जैसे बच्चा ने किया , यदि हम व्यक्ति को मानसिक रूप से सकारात्मक परिवर्तन के लिए तैयार करें तो विश्व का सम्पूर्ण नक्शा तैयार हो जायेगा और एक नया सकारात्मक विश्व बन जायेगा। जहाँ सभी सुखी होंगे।
No comments:
Post a Comment