Tuesday, November 19, 2013

" उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी "

कही बार हम जिस तरह से जीवन जीते है उसे  अच्छा करने के लिए हम नए नए रिस्ते जोड़ते और मेहनत भी करने  लगते है पर कुछ इस तरह हम उस जंजाल में फ़स जाते है ना वो काम पूरा होता है और ना ही हम उसे छोड़ पाते और फिर हमें वाही पुरानी अपनी ज़िंदगानी याद आ जाती है लेकिन अब वो रिस्ता टूट चूका होता है 
और हम उसे पुनः जोड़ने कि कोशिश नहीं कर पाते और जोड़ कि उमीद करते है तो तब कुछ इस तरह कि गीत  के अल्फ़ाज याद आते है जैसे। ……

उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम तुम थे अजनबी

लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे
लेकिन कहाँ है इनमें वो, पहली सी दिलकशी
उस मोड़ से शुरू...

रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी
उस मोड़ से शुरू...

शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगो में ढल गया
अश्कों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही
उस मोड़ से शुरू...
                                                          




Music By: जगजीत सिंह
 Movie/Album: द लेटेस्ट (1982)
Lyrics By: सुदर्शन फ़ाकिर
Performed By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह

Monday, November 18, 2013

" माँ, मेरी माँ " The song i like the most.

                                         


माँ, मेरी माँ
प्यारी माँ, मम्मा

हाथों की लकीरे बदल जायेंगी
गम की ये जंजीरे पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर
मेरी माँ, मम्मा

बिगड़ी किस्मत भी संवर जायेगी
जिन्दगी तराने खुशी के गायेगी
तेरे होते किसका डर
तू दुआओं का है घर
मेरी माँ, प्यारी माँ, मम्मा...

यूं तो मैं सबसे न्यारा हूँ
(पर) तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
दुनियाँ में जीने से ज्यादा
उलझन है माँ
तू है अमर का जहां
तू गुस्सा करती है
बड़ा अच्छा लगता है
तू कान पकड़ती है
बड़ी जोर से लगता है
मेरी माँ
मेरी माँ, प्यारी माँ, मम्मा
हाथों की लकीरें...

 Movie/Album: दसविदानियां (2008)
Music By: कैलाश खेर, परेश, नरेश
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर


Sunday, November 17, 2013

" Health tips on Skin Disease "

बहुत सारे लोग आज चमड़ी कि बीमारी से परेशान रहते है सब से बड़ा कारण इस बीमारी का ये है कि इस में
ट्रिटमेंट ज्यादा समय तक चलता है जिस कि वजह से लोग परेशान होते है और अगर समय पर इलाज नहीं करेंगे तो ये रोग बढ़ता जाता है। …

 

 
आज हम बता रहे है चमड़ी पर पैरो में या हाथ में कही भी काले दब्बे या लाल हो जाना और कुजली होना या फिर खुजलाने से लाल लाल दाने होना आदि के लिए एक सिंपल तरीका है
चिरैता और  क्रुट्टि ये १०० ग्राम लेकर रोज एक गिलास पानी में दोनों ४ ४ ग्राम रात को काच कि गिलास में बिगोधे  और सुबह उस पानी को काली पेट पि ले एक हफ्ते में आपको रिजल्ट मिलेगा और ज्यादा है तो एक महीने तक पिए इस से आपको काफी लाभ मिलेगा
                                              
                                                                      डॉ.  संजय कुमार  - (जलंदर )

Saturday, November 16, 2013

बलिदान


दोस्ती और  इंसानियत का एक अनोखा उदहारण, " खुद के बलिदान से औरो का जीवन बचाना " 

 इस विडियो को देखकर आपको क्या समझ में आता है वो जरुर लिखे कमेंट्स में 


                           इंतज़ार है। .... आपके जवाब का ....

Wednesday, November 13, 2013

" एक ख़मोशी के साथ देखे तो ज़िन्दगी "

                                           
                       

एक ख़मोशी के साथ देखे तो ज़िन्दगी
हमको हर पल हर वक्त कुछ न कुछ सिखाती है
हमारे पास सब कुछ होते हुवे भी
हम सदा खुश नहीं रहते
और कुछ ऐसे भी लोग है
शारीर के मुक्य अंग नहीं होने
के बौजूत खुश रहते है और ख़ुशी बाटते है
एक ख़मोशी के साथ देखे तो ज़िन्दगी
हमको हर पल हर वक्त कुछ न कुछ सिखाती है
वक्त के साथ कभी कभी हम
जीना भी सिख जाते है
छोटी छोटी खुशियाँ हमारे साथ होती है
लेकिन अचानक बड़ी ख़ुशी पाने के
कायल से छोटी छोटी खुशियो से दूर हो जाते है
और बड़ी खुशियो की बात में बाते बड़ी हो जाती है
एक ख़मोशी के साथ देखे तो ज़िन्दगी
हमको हर पल हर वक्त कुछ न कुछ सिखाती है
में सोचता हु ख़ुशी बड़ी हो या छोटी हो
बात बड़ी हो या छोटी हो
हमको तो हर पल खुश रहना है
चाहे हम जग रहे है या हम सो रहे हो
तो भी सपना खुशियो का हो
अगर हम खुश नहीं है तो भी ख़ुशी की एक्टिंग करे
और एक्टिंग करते करते खुश रहने कि आदत हो जय
एक ख़मोशी के साथ देखे तो ज़िन्दगी
हमको हर पल हर वक्त कुछ न कुछ सिखाती है

               

रमेश

Tuesday, November 12, 2013

"कभी अपने देखा सूरज को ढालते "




कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते
अगर आप गौर से देखेंगे तो
शयद एक बात है इस चित्र में
गुड इवनिंग के बजाय गुड मॉर्निंग
लिखते तो शयद आपको वो भी सही लगता
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते

बड़ी अजीब सी बात है
सूरज ना उगता है ना डलता है
लोग उगते (उठाते ) है लोग सो (डालते ) जाते है
सूरज न उगा है न डूबा है वो तो सदा प्रकाशित है
अब कि बार सूरज को देखो तो
साथ साथ अपने जमीन को देखो
सत्या का परिचय मिल जायेगा
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते
सूरज ना आया है ना जायेगा
आदमी इस संसार में आता है
और आदमी इस संसार से जाता है
कभी अपने देखा सूरज को ढालते
कभी अपने देखा सूरज को उगते 
 
 
रमेश 
 

Monday, November 11, 2013

" मोहबत की क्या बात कहे हम "


मोहबत की क्या बात कहे हम
श्याम कहे समुंदर कहे या सुंदर
लोगो की बात कुछ और है और हमारी कुछ और है
एक तस्वीर मेरे सामने
जैसे श्याम डल रहा हो
एक तस्वीर मेरे सामने
जैसे समुंदर से पानी जा मिल रहा हो
एक तस्वीर मेरे सामने
जैसे सुंदर दूसरा ना कोई है
मोहबत की क्या बात कहे हम
श्याम कहे समुंदर कहे या सुंदर
मोहबत की बात लोग जब भी बात करते है
श्याम का ही वक्त लगता है सुहाना
समुंदर सी गहराई उसमे शयद कोई नाप सके
सुंदर इतना की उसके आगे हर चीज फीका
मोहबत की क्या बात कहे हम
श्याम कहे समुंदर कहे या सुंदर