Saturday, March 8, 2014

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " सहयोग या संग्राम "

" सहयोग या संग्राम "

         एक बार परमपिता परमात्मा ने सभी को भोजन के लिए निमन्त्रण दिया। भोजन  में ५६ प्रकार के पकवान और १०८ प्रकार के फल आदि रखे हुआ थे। जिनको निमन्त्रण मिला सारे लोग तमो गुणी संस्कार वाले व्यक्ति थे और भोजन एक नियम से खाना था। तो सभी भोजन कक्ष में जाये , उसके पहले उनके दोनों हाथों में तीन फुट की लकड़ी का डण्डा बाँध दिया गया, जिससे उनके हाथ मुड़ न सके। सभी मेहमान भोजन कक्ष में गये और इतना स्वादिष्ट भोजन और फल देख कर सब के मुँह में पानी आ गया और सब ने अपने मुख की तरफ हाथ मोड़ा तो लकड़ी के कारण हाथ नहीं मुड़ सका और भोजन पीछे वाली पंक्ति में बैठे मेहमानों के ऊपर अथवा आगे की पंक्ति में बैठे मेहमानों के ऊपर गिरा। सबके कपड़े आदि ख़राब हो गये।  जिससे वे क्रोधित होकर आपस में लड़ने लगे , एक - दूसरे को अपशब्द बोलने लगे और कोई कोई तो हाथपाई भी शुरू कर दी। भोजन कक्ष बदल कर संग्राम का मैदान हो गया था , सभी जगह भोजन बिखर गया था और सभी मेहमान भूखे ही रह गये। ये सब आत्माये तमो गुणी संस्कार वाली होने के कारण भोजन कक्ष संग्राम कक्ष बना। अब परमात्मा ने सोचा चलो एक और बार प्रायोग करके देखते है।  

         फिर परमात्मा ने अपने दूतों को भेज कर भोजन कक्ष खाली करवाया। और दूसरे दिन दूसरे समुदाय को बुला कर उसी तरह हाथ बाँधकर भोजन कक्ष में भेज दिया।  सुंदर स्वादिष्ट भोजन को देख कर उनको भी खाने कि इच्छा होने लगी परन्तु खाये कैसे ? इस पर सोच चलने लगा। ये सभी  सतो प्रधान संस्कारों वाले व्यक्ति थे , इस लिए उन्होंने धैर्य से विचार किया।  उनका हाथ अपने मुँह की तरफ तो मुड़ ही नही सकता था परन्तु दूसरे की तरफ तो बिना मोड़े ही जा सकता था।  इस लिए उन्होंने प्रेम और स्नेह से , सहयोग भावना से अपने हाथ में चम्मच लेकर एक - दो को खिलाना शुरू किया और सभी ने अपने को तृप्त किया।  उनकी सहयोग भावना से न तो भोजन ख़राब हुआ और न ही भोजन कक्ष ख़राब हुआ और सभी भोजन खाकर तृप्त भी हुए।


सीख - जीवन में सुख पाने के लिए एक दूसरे का सहयोग चाहिए और जीवन को सफल बनाने के लिए भी हम सब को एक दूसरे को सहयोग देना और लेना चाहिए। इस लिए किसी ने ठीक ही कहा है सहयोग से होगा सर्वोदय सहयोग करो  सहयोग करो। 

Friday, March 7, 2014

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " आज्ञा - भंग की सजा "

" आज्ञा - भंग की सजा "

             इस संसार में बहुत से लोग ऐसे हुए है जिनका जीवन जीने का एक खास मक़सद रहा और वो जो कहते उसे किसी भी हाल में वे पूरा करते चाहे उस के लिए उन्हें किसी कि जान भी लेना पड़े तो वे पीछे नहीं हटते अपने नेपोलियन का नाम सुना होगा।उन्ही के जीवन का एक प्रसंग में यह आपको सुना रहा हूँ।

               विश्व विजेता बनने का स्वप्न देखने वाला नेपोलियन एक दिन अपनी विराट सेना के साथ शत्रु पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ रहा था। एक जंगल में उनका पड़ाव था। संध्या होते ही नेपोलियन ने आज्ञा फरमाई ,ब्लैक आउट (सम्पूर्ण अंधकार ), कोई भी सैनिक रात्रि में दीपक नहीं जलाएगा। सभी सैनिकों ने स्वामी कि आज्ञा शिरोधार्थ  की। नेपोलियन, भेष बदलकर सभी तम्बुओ का रात्रि में निरीक्षण करने लगा। अचानक एक तम्बू में उसे प्रकाश दिखाई दिया , निकट जाकर देखा कि एक सैनिक मोमबत्ती के प्रकाश में कुछ लिख रहा था।  नेपोलियन ने सिंह -सी गर्जना करते हुए पूछा - क्या कर रहे हो ? मेरी आज्ञा नहीं सुनी थी ? सैनिक काँपने  लगा।  थरथराती आवाज़ में बोला - सुनी तो थी पर मुझे क्षमा करें , पत्नी की अचानक याद आ गई , तो उसे पत्र लिखने बैठ गया।  नेपोलियन ने कहा  - ठीक है , अब पत्र में इतना जोड़ दो कि मैंने आज्ञा -भंग करके यह पत्र लिखा है और आज्ञा भंग की सजा में मुझे मौत मिल रही है। मेरा यह अन्तिम पत्र है, अब में तुम्हे इस दुनिया में नहीं मिल पाउँगा। बेचारा सैनिक क्या करता ! नेपोलियन की आज्ञा से उसे पत्र में इतना और जोड़ना पड़ा। पत्र पूरा होते ही नेपोलियन ने उसे गोली से उड़ा दिया।


सीख - किसी भी तरह का आज्ञा हो उसको तोड़ने या भंग करने से उसकी सजा मिलती ही है चाहे सहकार रूप में या शुक्ष्म रूप में ही क्यों न हो मिलती ही है। … इस लिए आज्ञा को मानकर जीवन जिये। 

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " ईश्वर में तन्मयता "

" ईश्वर  में तन्मयता "

                    बहुत पुरानी बात है एक बार अकबर बादशाह दिन भर यात्रा करते हुए बहुत दूर निकल गए। चलते - चलते नमाज़ का समय हो गया। तब मार्ग में एक ओर नमाज़ का वस्त्र बिछा कर दो -जानु (घुटनों के बल बैठना ) हो गए। उधर एक युवती अपने पतिदेव को खोजती आ रही थी।  उसने नमाज़ का कपड़ा देखा नहीं और उसी के ऊपर पग रखती हुई आगे बढ़ गई। अकबर को उसकी गुस्ताखी पर क्रोध तो आया परन्तु चुप रहे।  थोड़ी देर में जब वह युवती अपने पतिदेव के साथ लौटी तो अकबर कहने लगा - तुझे दिखा नहीं , मै नमाज़ पढ़ रहा था और प्रभु भक्ति में था ? तुझे नज़र नहीं पड़ा नमाज़ के कपड़े पर पग धरती गई ? पतिदेव सोचने लगे कि  अब क्या किया जाय, लेकिन उस समय युवती ने बड़े धैर्य से एक दोहा बोली -                                              
                             "  नर राची सूझी नहीं , तुम कस लख्यो सुजान।
                                कुरान पढ़त बोरे भयो , नहीं राच्यो रहमान।। "

                मै तो अपने पतिदेव कि खोज में गुम हो चुकी थी जिस कारण मुझे कुछ सुझा नहीं।  परन्तु तुम तो प्रभु भजन में लीन थे। तुमने मुझे कैसे देख लिया ? मालूम होता है कि कुरान पढ़ कर बौख़ला गए हो।  भगवान से अभी प्रीत नहीं हुई। अकबर यह उत्तर सुनकर आश्चर्य़चकित रह गया। क्यों कि युवती कि बात भी सही थी।


             
            सीख -  ईश्वरीय ज्ञान भी हमें बताता है कि ईश्वर से सच्ची दिल कि प्रीत हो तो न व्यर्थ दिखाई देगा और न सुनाई देगा।  लगन में मगन का मतलब प्रभु से सच्ची प्रीत जोड़ने के लिए घर का संन्यास करने की जरुरत है परमात्मा को बस हमारा शुद्ध मन चाहिए। मन निर्मल है तो प्रभु से सर्व प्राप्तियाँ करना कोई मुशकिल नहीं है। 

Thursday, March 6, 2014

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " दृढ़ता सफलता की कुँजी है "

" दृढ़ता सफलता की कुँजी है " 


             एक बड़ा चतुर किसान था। कितना भी कोई कहे लेकिन वह कभी कोई प्रतिज्ञा या अच्छा संकल्प लेने को तैयार नहीं होता था। वह बहुत भावना वाला था और उसकी उदारता भी महिमा योग्य थी लेकिन वह कभी कोई नियम लेने को तैयार नहीं होता था। एक दिन गॉव में एक साधू आया।  किसान के एक मित्र को मज़ाक सूझी।  वह उस किसान को उस संत के पास ले गया। दोनों ने विनम्र भाव से वंदना की। कोई आज्ञा चाही।  साधू ने बड़े प्यार से पूछा - क्या आप कोई प्रतिज्ञा या संकल्प लेंगे ? इस पर किसान पहले तो हिचकिचाया , कहने लगा - वैसे आज तक कभी प्रतिज्ञा नहीं ली है लेकिन आप आज्ञा देँगे तो ना भी नहीं कर सकता।  बेचारा किसान बंध गया।  साधू ने मुस्कुराकर पूछा - अच्छा क्या प्रतिज्ञा लेंगे ? किसान ने कुछ देर तक सोचकर कहा - मेरे खेत के पास से रोज एक गंजा व्यक्ति निकलता है , आज से उसके गंजे सिर को देखकर फिर भोजन करूँगा।




               अब तो यह उसका नित्यक्रम बन गया कि पहले गंजे का दर्शन करना और फिर भोजन करना। अब ६ से ८ मास निकल गए।और  एक दिन वह गंजा दिखाई नहीं दिया।  एक तरफ भूख और दूसरी तरफ इंतज़ार।  और आप जानते है। कि इंतज़ार कि घड़ियाँ लम्बी होती है। बहुत देर बाद दूर से उसने उस गंजे व्यक्ति को देखा जो चारों और देख रहा था।  किसान ख़ुशी से चिल्लाया - देख लिया देख लिया ! अब बात ये थी कि उस गंजे व्यक्ति को अपने खेत में एक सोने की मुहरों से भरा हुआ घड़ा मिला था , वह सिर  ऊँचा करके देख रहा था कि कोई देखता तो नहीं है।  और इधर किसान अपनी ख़ुशी को व्यक्त करने के लिए चिल्लाया। अब ये सुनकर गंजा व्यक्ति घबरा गया और सोचा इस किसान ने मुझे देख लिया है , अब गंजा ने सोचा क्यों न उसकी ही मद्दत घड़ा उठाने में ली जाए ? सो उसने किसान को बुलाया और उसकी मदत ली और कुछ मुहरें  किसान को दी। दोनों ने मिलकर घड़ा घर पहुँचा दिया।

सीख - वैसे किसी भी व्यक्ति को प्रतिज्ञा के बन्धन में रहना अच्छा नहीं लगता परन्तु प्रतिज्ञा चाहे कैसी भी हो लगातर अभ्यास करने से उसका लाभ जरुर होता है। 

Wednesday, March 5, 2014

Hindi Inspirational & Motivational Stories - " स्व से विश्व परिवर्तन "

स्व से विश्व परिवर्तन 


                ये कहानी शायद अपने  सुनी भी होगी लेकिन मै फिर से सुनाना चाहूँगा ये कहानी बार बार सुनने से या पढने से मुझे प्रेरणा मिलती है तो हो सकता है, आपको भी प्रेरणा मिले।
           
               एक बार एक बच्चा अपने पिता के कार्य में बाधा डाल रहा था, जो किसी आवश्यक कार्य में लगे हुए थे। पिताजी ने बच्चे को किसी  कार्य में लगाना चाहा। सोचा ये व्यस्त रहेगा तो मै अपना कार्य आराम से करूँगा इस लिए उन्होंने मेज़ पर रखी हुई विश्व का मानचित्र उठाया और उसके छोटे- छोटे टुकड़े कर दिये और बच्चे को वो टुकड़े देकर कहा कि वह विश्व का मानचित्र बनाकर लाये।

               अब बच्चा बहुत ही चतुर था। टुकड़ो को सही क्रम में लगाने से पहले उसने टुकड़ो को पीछे से देखना शुरु किया। जैसे ही उसने पीछे देखा तो एक टुकड़े पर मानव शरीर के अंग का छोटा सा हिस्सा दिखाई दिया। उसके मन में जिज्ञासा उठी और उसने सभी टुकड़ो को उल्टा करके फर्श पर रखा दिया तो उसे मानव के अलग अंग दिखायी दिए उसके बाद उसने मानव शरीर के हिसाब से सब टुकड़ो को मानव शरीर कि रचना के अनुसार जोड़ दिया। उसके बाद जब उसने फिर से उल्टा किया तो विश्व का मानचित्र तैयार था। तब वह भागता हुआ अपने पिताजी को दिखाने ले गया।  जैसे ही पिताजी अपने बच्चे के हाथ में वह मानचित्र देखा तो आश्चर्यचकित  हुए।


पिताजी : - ( आश्चर्यचकित होकर ) बेटा तुमने इतनी जल्दी विश्व का नक्शा कैसे बना दिया ?

पुत्र     : -     यह तो बहुत ही आसान है।

पिताजी : - लेकिन यह कोई इतना सरल कार्य नहीं था। मैंने तो विश्व के टुकड़े - टुकड़े कर दिए थे और
                  तुमने इतनी जल्दी कैसे जोड़ लिया ?

पुत्र     : -    मैंने 'व्यक्ति' को ठीक किया और 'विश्व' ठीक हो गया।

सीख  - इसी तरह से यदि हम व्यक्ति के परिवर्तन का नक्शा तैयार करें जैसे बच्चा ने किया , यदि हम व्यक्ति को मानसिक रूप से सकारात्मक परिवर्तन के लिए तैयार करें तो विश्व का सम्पूर्ण  नक्शा तैयार हो जायेगा और एक नया सकारात्मक विश्व बन जायेगा। जहाँ सभी सुखी होंगे।


Hindi Inspirational & Motivational stories - " हिम्मतवान बनो "

" हिम्मतवान बनो "


                            एक बार एक गरीब व्यक्ति की पत्नी चर्च  गई और वहाँ  पादरी से निवेदन किया कि - मेरे पति को एक लाख डॉलर की लॉटरी मिल गई है।  जब वह सुनेगा तो कहीं ख़ुशी के मारे पागल न हो जाये , उसका हार्ट फ़ेल न हो जाये।  अंतः आप कुछ करे।  यह सुनकर पादरी ने कहा चिन्ता नहीं करो, सब ठीक हो जायेगा। मै तुम्हारे साथ चलता हूँ। घर जाकर पादरी ने उसके पति से कहा - मान लो कि यदि तुम्हे दस हज़ार डॉलर की लॉटरी मिल जाये तो तुम क्या करोगे ? अब पादरी ने सोचा था कि थोडा-थोडा करके बतायेंगे। उस व्यक्ति ने कहा - क्यू पहेलियाँ बुझा रहे हो ! मैंने तो कभी दस हजार देखा ही नहीं है ! फिर भी उस में दो हज़ार तुम्हे दे दूँगा। फिर पादरी ने कहा कि - यदि पच्चीस हज़ार। .... यदि सत्तर हज़ार। ……

            आगे बढ़ते बढ़ते। पादरी ने जब कहा अगर आपको एक लाख डॉलर कि लॉटरी लग गई तो। .... उस व्यक्ति ने कहा। . बस - बस , मै गारन्टी करता हूँ कि एक लाख कि डॉलर कि लॉटरी लग जाये तो मै उस का आधा आपको दे दूँगा।  यह सुनते ही ख़ुशी के मारे पादरी का हार्ट फ़ेल हो गया। क्यू कि वह साधारण चर्च का पादरी था जिसने कभी इतने डॉलर नहीं देखे थे।

सीख  - हम सब को हिम्मतवान बनना है हर बात में चाहे वो पैसे कि हो या कार्य कुशलता कि बात हो या                     परिवार को संगठित रखने कि बात हो…… 

Tuesday, March 4, 2014

Hindi Inspirational & Motivational stories " यह भी बदल जायेगा "

"यह भी बदल जायेगा"

                   एक समय की बात है कि किसी राजा ने अपने राजकीय स्वर्णकार को बुलाकर कहा - हमें एक सुन्दर अंगूठी बनाकर दो तथा उस पर एक छोटी - सी पंक्ति अंकित के दो , जो हमें हर परिस्थिति में काम आये।  अंगूठी तो बन गई लेकिन वह स्वर्णकार इसी चिन्तन में था - इस पर लिखें क्या ? उन्हीं दिनों उस राज्य में एक सन्त पधारे हुए थे। अँगूठी बनाने वाले स्वर्णकार ने राजा के आदेश का उस सन्त से जिक्र किया। सन्त बोले - ठीक है , इस पर यह पंक्ति अंकित कर दो कि - यह भी बदल जायेगा।  राजा ने उस अँगूठी को पहन लिया और अपने राज्य - कारोबार में मग्न हो गया।

                   थोड़े समय के बाद पड़ोसी राजा ने उस राजा पर आक्रमण कर दिया।  नौबत यहाँ तक आ गई कि उसे भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। जब वह भाग रहा था, उस समय भी दुश्मन के कुछ घुड़सवार उसका पीछा कर रहे थे। वह एक गुफा की आड़ में खड़ा हो गया और अपने को जितना छुपा सकता था छुपा लिया।  घोड़ो की टाप टाप आवाज़ सुनायी दे रही थी। उसके नजदीक घोड़े आ रहे थे। तब अचानक उसकी नज़र अपनी अँगूठी पर अंकित उन शब्दों पर पड़ी कि यह भी बदल जायेगा। और उसकी धड़कन शान्त होने लगी। उसने सोचा - इतना घबराने की जरुरत ही क्या है ?.... यह परिस्थिति भी थोड़े समय में बदल ही जायेगी। ज्ञान की एक नन्हीं किरण ने शब्दो के रूप में उसके अन्तर को आलोकित कर दिया।  फिर कैसा दुःख ! और अब घोड़ो कि टाप टाप कि आवाज़ दूर और दूर होती चली गई।




                   समय के अन्तराल में एक दिन वह अपने आपको बहुत अच्छा तैयार कर लिया और युद्ध में पुनः विजय हुआ।  बड़े गर्व से , ख़ुशी -ख़ुशी,गाजे - बाजे के साथ वह पुनः अपने राज्य में प्रवेश कर रहा था।  लेकिन उसी वक्त अचानक उसकी नज़र पुनः उस अँगूठी पर पड़ी - यह भी बदल जायेगा।  अब राजा विजय उत्सव के बीच वह पुनः शान्त और अन्तर्मुखी होता चला गया - अरे , यहाँ तो सभी बदल जाते है।  ये हार ये जीत सब अल्पकाल के है , फिर इस में कैसा दुःख , और कैसा सुख ! अन्तर आलोक में राजा अब साक्षी बन गया था। और राजा ने ज्ञान का वह एक शब्द अपने जीवन में उतार लिया था। उसका जीवन आध्यात्मिक शक्ति से आलोकित हो गया था।  समभाव की राजयुक्त मुस्कान उसके चेहरे पर फ़ैल गई। आज वह पहली बार अपने को अनेक बोझों से मुक्त , हल्का-फुल्का अनुभव कर रहा था।

सीख - ज्ञान के किसी भी बिन्दु को जीवन में धारन कर लो वह आपके जीवन को आलोकित कर देगा आपको सुख दुःख से पार ले जायेगा। ……………