मेरे दिल की बात
में जो कुछ बोल पाता हु प्यारो प्रभु की सौगात
में भी क्या बोल पाता मेरी है कितनी औकात
झटका प्रभु ने दिया मुझे फट से मैंने बोल डाला
तार तार होने से पहले दुखड़ा मैंने सी डाला
उमस तब तब बढ़ जाती जब होती कम बरसात
में भी क्या बोल पाता मेरी है कितनी औकात
भर भर खाली होना है खाली हो के भरना
कम खाना गम खाना सहना पल दो पल का रहना
कांटो में गुलाब खिलते है सीधी सच्ची बात
आत्मा करे ना रैन बसेरा सुन रे डाली पात
में भी क्या बोल पाता मेरी है कितनी औकात
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