" संसार में अड़चन और परेशानी "
ज़िन्दगी में कोई भी ये नहीं चाहता की उसके पास अड़चन या परेशानी कभी आये पर ज़िन्दगी की रहा ही कुछ ऐसा है की ये बिना अड़चन या परेशानी की कोई रास्ता बनता ही नहीं ज़िन्दगी की रेखा ही कुछ टेढ़ा मेधा है और उसके बाद कुछ सीधा और फिर कुछ ऊपर निचे भी है प्रकृति का नियम ही कुछ ऐसा है
ज़िन्दगी में सुख और दुःख दोनों है
जैसे मीठे के साथ नमकिन जरुरी है
इस लिए किसी ने कहा है कभी दुःख है तो कभी सुख है
मेरे कायल से सुख के साथ दुःख का होना भी लाज़मी है दुःख बड़े काम की चीज है ज़िन्दगी में अगर दुःख न हो तो कोई प्रभु को याद ही न करे
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