शिक्षा की बात करते है तो लडकियों को शिक्षा मिले
इस की बात होती है और जहा तक हो सखा है सब
ने मेहनत की है और ये बात सहरो में बिलकुल 100%
टिक लगता है और वह हो रहा है पर जब बात गाव की
करते है तो बात कुछ हजम नहीं होती है
हां काम तो हुवा है बालिका शिक्षा पर सरकार ने भी काम किया है
पर जितना होना था वो अभी नहीं हुवा है गाव में लोग लडकियों को
स्कूल तो छोड़ देते है पर 8 से 10 तक पढ़ते है या इस से भी कम ही पढ़ते
है जो की नहीं के बराबर है
लडकियों को शिक्षा तो डिग्री या मास्टर डिग्री तक पढ़ना है
ताकि गाव में कुछ बदलाव ला सखे ...गाव में हो रहे कुप्रथा
झाड़ फूक,जंतर मंतर,जादू टोना, और ब्रुन हत्या, पुरुष प्रधानता ,
कम उम्र में लड़की की शादी, शादी के अधिकार,दजेह .......आदि आदि
तब जाकर हमारा भारत एक शाशाक्त भारत बनेगा
जिस की कल्पना हम सभी करते है
लडकियों को पढाये इतना की वो किसी भी समस्या का समाधान
खुद कर सके .......शिक्षा का सम्मान सही मायने में येही है
सबको मिले सामान अधिकार .
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