इच्छा मात्रम आविध्य का सही अर्थ है की सुभ भावना और सुभ कामना से भरपूर रहो याने खुदा जिसने इस संसार को बनाया है उसकी मत पर चलते हुवे कुदरत की खूब सुरती को देखो की कुदरत की हर चीज दूसरो के लिए बनी है जिस और भी देखो वह कुछ न कुछ दे ही रहा है ...सागर ना अपना जल पीता है पेड़ ना अपना फल खाते परोउपकार के लिए ही जीवन है ...मुझे लगता है इतना काफी है इच्छा मात्रम आविध्य का स्वरुप बनने के लिए ... ॐ शांति .
No comments:
Post a Comment