समय पर कार्य का महत्त्व (Importance of Time)
एक जंगल में वट का वृक्ष था जिस पर एक बन्दर और उसकी बन्दरिया रहती थी। एक दिन अचानक वहाँ तोता - मैना आकर उसी वृक्ष की डाली पर बैठे। बन्दर और बन्दरिया की जोड़ी को देखते हुए मैना ने तोते से कहा - यह समय इतना श्रेष्ट, सुन्दर और बलवान है, यह घडी इतनी उत्तम है कि इस वक्त यह बन्दर और बन्दरिया डाली से कूद पड़े तो जमीन पर गिरते ही राजकुमार और राजकुमारी के रूप में बदल जायेंगे (बन जायेंगे ) अब ये बात बन्दरिया ने सुन लिया सो उसने सारी बात बन्दर को बताया और तुरन्त एक साथ जमीन पर कूदने के लिए आग्रह किया। लेकिन अभिमान में चूर बन्दर ने उसकी बात न मानी और बोला - जा तू ही राजकुमारी बन जा मैं तो यह ही ठीक हूँ। बन्दरिया समजदार थी। वह जानती थी समय का महत्त्व क्या है, गया वक्त फिर नहीं आयेगा। वह कूद पड़ी और जमीन पर गिरते ही राजकुमारी बन गई। और जब बन्दर ने उसे राजकुमारी बनते देखा तो वह भी कूद पड़ा। लेकिन तब तक समय बदल चूका था। परिणाम यह हुआ कि बन्दर के गिरते ही बन्दर की टाँगे टूट गई। वह रोने और पछताने लगा। उसे स्वम् से आत्म - ग्लानि हो रही थी। मैना की बात न मानने के कारण यह हुआ। समय का कितना मोल है ये उसके समझ में आ गया था पर अब कुछ नहीं हो सकता था सिर्फ वह अपने आप को और अपने गलती पर गिड़गिड़ता रहा।
और उसी समय वह से एक घुड़सवार और एक मदारी गुजर रहे थे। राजकुमार ने राजकुमारी को अपने घोड़े पर बिठाया और अपने राज्य की ऒर चला गया तथा मदारी ने बन्दर को दो डंडे मारे और शहर में नचाने के लिए ले गया।
सीख - समय का महत्त्व को जान हमें उस का सदुपयोग करना है ये भी एक कला है और एक बात तो याद रखना ही है, समय गया तो सब कुछ गया इस लिए समय को पहचानों।
No comments:
Post a Comment