ऐसा भी होता है
एक राजा बहुत दानी था। मरने के बाद जब धर्मराज के समाने गया तो चित्रगुप्त ने बताया कि राजा के खाते में लाखों मछलियाँ मारने का पाप लिखा है। राजा ने कहा मैं तो शाकाहारी था और मैंने कभी मछली को हाथ भी नहीं लगाया। तब चित्रगुप्त ने बताया कि आपके राज्य के एक मछुवारे ने आपके दान के पैसों से मछली पकड़ने वाले जाल की नई जाली खरीदी थी। परिणाम स्वरूप आपके खाते में दान - पुण्य जमा नहीं हुआ बल्कि पाप का खाता ही बढ़ गया। इस तरह से सेवा और जमा खाते फर्क रह जाता है उसे समझा जा सकता है। मतलब दान हमेशा सुपात्र को दें।
सीख - दान भी सोच समझ करना है।
एक राजा बहुत दानी था। मरने के बाद जब धर्मराज के समाने गया तो चित्रगुप्त ने बताया कि राजा के खाते में लाखों मछलियाँ मारने का पाप लिखा है। राजा ने कहा मैं तो शाकाहारी था और मैंने कभी मछली को हाथ भी नहीं लगाया। तब चित्रगुप्त ने बताया कि आपके राज्य के एक मछुवारे ने आपके दान के पैसों से मछली पकड़ने वाले जाल की नई जाली खरीदी थी। परिणाम स्वरूप आपके खाते में दान - पुण्य जमा नहीं हुआ बल्कि पाप का खाता ही बढ़ गया। इस तरह से सेवा और जमा खाते फर्क रह जाता है उसे समझा जा सकता है। मतलब दान हमेशा सुपात्र को दें।
सीख - दान भी सोच समझ करना है।
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