डर और दुविधा
एक सन्त सम्राट का अतिथि बना, और जहाँ सन्त बैठा था, उसके कुछ दुरी पर लेकिन टिक सामने तीन पिंजरे रखे थे। जिस में एक पिंजरे में एक चूहा था, उसके सामने सुखा मेवा पड़ा था। दूसरे में बिल्ली थी, उसके सामने मलाई भरा कटोरा था। तीसरे में बाज पक्षी था, उसके सामने ताजा मांस था।
अब हुआ ऐसा कि तीनों भूखे थे पर सामने रखे पदार्थों को खा नहीं रहे थे। सम्राट को ये बात का पता लगा तो वे कारण जानना चाहा। सम्राट ने सन्त से पूछा आखिर ये तीनो खाना क्यों नहीं खा रहे है महाराज ? तब संत ने कहा - राजन् ! चूहा, बिल्ली से भयभीत है, बिल्ली, बाज पक्षी से भयभीत है। बाज पक्षी को किसी का भय नहीं पर उसे प्रलोभन है कि पहले बिल्ली को खाऊँ या चूहे को। इस दुविधा में उसे अपने पिंजरे में रखा मांस दिखाई नहीं दे रहा है। यदि लम्बे समय तक इनकी यही स्थिति रही तो अन्तत: ये तीनो प्राणी तड़प-तड़प कर मर जायेंगे।
सीख - ये कहानी आज की मनुष्य की दशा और मानसिकता बता रहा है। आज की मनुष्य की स्थिति ऐसी ही हो गयी है। डर और दुविधा ही दुःख का कारण है। इस लिए डारो नहीं आपके पास जो कुछ है उसको उपयोग करे और सुखी रहो।
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