यूं तो तेरी याद में भी स्वाद है तेरा
पर आँखों को मनाऊं किस तरह
होंठों की मजाल क्या जो करे ये सवालपर दिल को मैं समझाऊं किस तरह
सत या असत है (ये) मैं क्या जानूं
जैसे सांसे तेरे बिना हुई गुम
कर-कर मैं हारा हर जतन
तेरी तड़प तेरी ही लगन
पर्दा ये जब हट जाएगा
अम्बर को धरती से मिलाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा...
भुला-भुला, खोया-खोया भटका फिरूँ मैं तेरी चाह में
तक-तक, अंख मुरझाई, पथराई तेरी आह में
आँखों में मेरी जो समाएगा
पंख बिना ही उड़ जाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा...
कभी-कभी धूप, कभी छांव, तू ही है पहचान लूं
या तो मुझे हंसा बना दे तो, मैं तुझे जान लूँ
खुशबू से जो तू बाहर आएगा
सूरज को गोद में खिलाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा..
Movie/Album: यात्रा - द नोमैडिक सोल्स (2009)
Music By: कैलाश खेर, नरेश कामथ, परेश कामथ
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर
Music By: कैलाश खेर, नरेश कामथ, परेश कामथ
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर
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