मानवता अपनाओ रे, सब को गले लगाओ रे।
अनेकता में एकता की, सदभावना जगाओ रे।
भारत माता की रक्षा वास्ते, हँसते, हँसते प्राण चढ़ाओ रे।
साम्प्रदयिक सदभावना की प्रेम धारा बहाओ रे।
वन्दे-मातरम गाओ रे, भारत का सम्मान बढ़ाओ रे।
गरीबी, महंगाई, बेकारी हटे, ऐसा विकास दिखलाओ रे।
देश भक्तों के बलिदानों को, कहीं भूल नहीं जाओ रे।
साम्प्रदयिक सदभावना की प्रेम धारा बहाओ रे।
हिंदुस्तान के हम है, हिंदुस्तान हमारा है।
इसकी आन न जाने पाये, यह संकल्प हमारा है।
हमारे मन्दिर हमारे मस्जिद, गिरिजा और गुरूद्वार है।
हम सब भारतवासी, इसमें सच्चा भाईचारा है।
साम्प्रदयिक सदभावना की प्रेम धारा बहाओ रे।
साम्प्रदयिक सदभावना की प्रेम धारा बहाओ रे।
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