Sunday, September 1, 2013

" छोड़ दे सारी दुनिया "

 
 
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या \-२
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहाँ क्यूँ बसाते नहीं
दिल ने चाहा भी तो, साथ सँसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए
 
 
 
 (तनाव को कम करने के लिए बस एक बार गीत को ध्यान से सुनो)

Thursday, August 29, 2013

" श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव "

 
 
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव है।
योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। 
आईये जानते है कैसे मनाये जन्माष्टमी। ……
व्रत विधि......
व्रत के दिन प्रात: व्रती को सूर्य, सोम (चन्द्र), यम, काल, दोनों सन्ध्याओं (प्रात: एवं सायं),
पाँच भूतों, दिन, क्षपा (रात्रि), पवन, दिक्पालों, भूमि, आकाश, खचरों (वायु दिशाओं के निवासियों)
एवं देवों का आह्वान करना चाहिए, जिससे वे उपस्थित हों।
उसे अपने हाथ में जलपूर्ण ताम्र पात्र रखना चाहिए,
जिसमें कुछ फल, पुष्प, अक्षत हों और मास आदि का नाम लेना चाहिए और संकल्प करना चाहिए–
'मैं कृष्णजन्माष्टमी व्रत कुछ विशिष्ट फल आदि तथा अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए करूँगा।'
तब वह वासुदेव को सम्बोधित कर चार मंत्रों का पाठ करता है, जिसके उपरान्त वह पात्र में जल डालता है।
उसे देवकी के पुत्रजनन के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करना चाहिए, जिसमें जल से पूर्ण शुभ पात्र, आम्रदल,
पुष्पमालाएँ आदि रखना चाहिए, अगरु जलाना चाहिए और शुभ वस्तुओं से अलंकरण करना चाहिए तथा षष्ठी देवी को रखना चाहिए। गृह या उसकी दीवारों के चतुर्दिक देवों एवं गन्धर्वों के चित्र बनवाने चाहिए (जिनके हाथ जुड़े हुए हों), वासुदेव (हाथ में तलवार से युक्त), देवकी, नन्द, यशोदा, गोपियों, कंस-रक्षकों, यमुना नदी, कालिया नाग तथा गोकुल की घटनाओं से सम्बन्धित चित्र आदि बनवाने चाहिए। प्रसूति गृह में परदों से युक्त बिस्तर तैयार करना चाहिए।
  
 पारण........
प्रत्येक व्रत के अन्त में पारण होता है, जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है।
जन्माष्टमी एवं जयन्ती के उपलक्ष्य में किये गये उपवास के उपरान्त पारण के विषय में कुछ विशिष्ट नियम हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण, कालनिर्णय में आया है कि–'जब तक अष्टमी चलती रहे या उस पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक पारण नहीं करना चाहिए; जो ऐसा नहीं करता, अर्थात जो ऐसी स्थिति में पारण कर लेता है
वह अपने किये कराये पर ही पानी फेर लेता है और उपवास से प्राप्त फल को नष्ट कर लेता है।
अत: तिथि तथा नक्षत्र के अन्त में ही पारण करना चाहिए।

सच्ची जन्माष्टमी मानाने की सहज विधि …उपवास माना  ऊपर में वास करना इस का मतलब है की आप अपने मन से दिल से ईश्वर की याद में रहो सच्चे रहो पार ब्रह्म में रहने वाले उस ईश्वर पिता को याद करते रहो तो आपको शक्ति मिलती रहगी और आपका मन शुद्ध और पवित्र हो जायेगा जिस से आप श्री कृष्णा की नगरी में जाने लयक बन जायेंगे और यहाँ रहते भी आपको अति इन्द्रिय सुख का अनुभव होगा। …लेकिन याद विधि पूर्वक हो देह सहित देह के सब धर्म को मन से भूल उस परमात्मा को याद करे। … 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव...............
 देश भर के श्रद्धालु जन्माष्टमी पर्व को बड़े भव्य तरीक़े से एक महान पर्व के रूप में मनाते हैं।
 सभी कृष्ण मन्दिरों में अति शोभावान महोत्सव मनाए जाते हैं।
 विशेष रूप से यह महोत्सव वृन्दावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गुरुवयूर (केरल), उडृपी     (कर्नाटक) तथा इस्कॉन के मन्दिरों में होते हैं।
 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव सम्पूर्ण ब्रजमण्डल में, घर–घर में, मन्दिर–मन्दिर में मनाया जाता है।
 अधिकतर लोग व्रत रखते हैं और रात को बारह बजे ही 'पंचामृत या फलाहार' ग्रहण करते हैं।
 मथुरा के जन्मस्थान में विशेष आयोजन होता है। सवारी निकाली जाती है। दूसरे दिन नन्दोत्सव मन्दिरों में दधिकाँदों होता है।  फल, मिष्ठान, वस्त्र, बर्तन, खिलौने और रुपये लुटाए जाते हैं। जिन्हें प्रायः सभी श्रद्धालु लूटकर धन्य होते हैं।  गोकुल, नन्दगाँव, वृन्दावन आदि में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बड़ी धूम–धाम होती है।

Wednesday, August 28, 2013

Jeevan tumne Diya hai.....(Hindi Lyrics)

 

 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 साए मे हम आप ही के पाले, सत्कर्म की रह पर हम चले
 सारे जहाँ की भलाई करे, हम ना किसीकि बुराई करे
 इस  दुनिया के दुखों से बचा लोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 हर पल अगर तुम्हारा साथ है, फिर हुमको डरने की क्या बात है
काठनाईयो  से ना हारेंगे हम, तुमको हमेशा पुकारेंगे हम
 अपने गले से हमे भी लगलोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

छाया  कही तो कही धूप है, है नाम कितने काई रूप है
 हर शय  मे तुम हो समाए हुए, हम सब हैं तुम्हारे बनाए हुए
 हम जो रूठे कभी तो मनलॉगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

Sunday, August 25, 2013

Tera Karm hi teri Vijay hai (Hindi Lyrics)




तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है

अँधा है हर सफ़र
हर सांस मे अजनबी
अपनी ही खोज मे
खोया है हर आदमी
अँधा है हर सफ़र
हर सांस मे अजनबी
अपनी ही खोज मे
खोया है हर आदमी
जूठे  है सारे सहारे
रिस्ते हमारे  तुम्हारे
ए  वक़्त के खेल सारे
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है

पत्थर की है ज़मीन
है दूर घर आसमान
फिर भी ये जिंदगी जीना है सबको यहा

पत्थर की है ज़मीन
है दूर घर आसमान
फिर भी ये जिंदगी जीना है सबको यहा

किस हाथ मे क्या लिखा है
पहले से किस ने पढ़ा है
जाने मुक़धार मे क्या लिखा है

तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है, विजय तेरी विजय है
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
हर वक़्त है इम्तिहान का
दस्तूर है ये जहाँ का
तेरा करम ही तेरी विजय है
तेरी विजय है.


Meri Dadi " Dadi Prakash Mani "

"ना ये चाँद होगा"
 


ना ये चाँद होगा ना तारे रहेगे
मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

नज़र ढूँढती थी जिसे पा लिया है
उमीदों के फुलो से दामन भरा है
ये दिन हमको सब दिन से प्यारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

कहूँ क्या मेरे दिल का अरमान क्या है
तुम्हे हर घड़ी चूमना चाहता है
कहाँ तक भला जी को मारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

सहारा मिले जो तुम्हारी हँसी का
भुला देगे हम सारा गम ज़िंदगी का
तुम्हारे लिए है तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

 बिच्छाड़कर चले जाए तुमसे कही
तो ये ना समझना मुहब्बत नही
जहाँ भी रहे हम तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा

ज़माना अगर कुछ कहेगा तो क्या
मगर तुम ना कहना हमे बेवफा
तुम्हारे लिए है तुम्हारे रहेगे
ना ये चाँद होगा


Friday, August 23, 2013

Mujhe Pyar ki Zindagi Dene Wale.. (Hindi Lyrics)



मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले
कभी गम  ना देना ख़ुशी देने वाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

मोहब्बत के वादे भुला तो ना देंगे
कहीं मुझ से दामन चुरा तो ना लो गे.…..  २ 
मारे दिल की दुनिया है  तेरे  हवाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

ज़माने में तुम से नही कोई प्यारा …… २ 
यह जान भी तुम्हारी यह दिल भी तुम्हारा
जो ना हो यक़ीन तो कभी आजमाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले

भरोसा हे हम को मुहाबत पे तेरी ….. .. २
तो फिर हंस के देखो निगाहों में मेरी
यह डर है ज़माना जुदा  कर ना डाले

मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले
कभी गम  ना देना ख़ुशी देने वाले
मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले।

Mere Desh Premiyo... (Hindi Lyrics)

 

नफ़रत की लाठी तोडो, लालच का खंजर फेंको
ज़िद्द के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
देखो, ये धरती, हम सब की माता है
सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे,
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो, मेरे देश प्रेमियों ...

मीठे, पानी में, ये ज़हर ना तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नही भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो, मेरे देश प्रेमियों ...

तोडो, दीवारें, ये चार दिशाओं की
रोको, मत राहें इन, मस्त हवाओं की
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण वालों मेरा मतलब है
इस माटी से पूछो क्या भाषा क्या इसका मज़हब है
फिर मुझसे बात करो, मेरे देश प्रेमियों ...आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...