Friday, September 6, 2013

" दांतों की सुरक्षा "

    दांतों  की  सुरक्षा।

दांतों का नाता सिर्फ खूबसूरती से नहीं होता , बल्कि इनके बिना जिंदगी बेहद मुश्किल हो जाती है। दिक्कत यह है कि हममें से ज्यादातर लोग दांतों की देखभाल को लेकर गंभीर नहीं होते। अगर शुरू से ध्यान दिया जाए तो दांतों की बहुत सारी समस्याओं से बचा जा सकता है।
दुनिया में करीब 90 फीसदी लोगों को दांतों से जुड़ी कोई कोई बीमारी या परेशानी होती है , लेकिन ज्यादातर लोग बहुत ज्यादा दिक्कत होने पर ही डेंटिस्ट के पास जाना पसंद करते हैं। इससे कई बार छोटी बीमारी सीरियस बन जाती है। अगर सही ढंग से साफ - सफाई के अलावा हर 6 महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक सीरियस बनने रोका जा सकता है। 


जीभ की सफाई जरूरी : जीभ को टंग क्लीनर और ब्रश , दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून निकले।

कैसा ब्रश सही : ब्रश सॉफ्ट और आगे से पतला होना चाहिए। करीब दो - तीन महीने में या फिर जब ब्रसल्स फैल जाएं , तो ब्रश बदल देना चाहिए।

टूथपेस्ट की भूमिका : दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। यह एक मीडियम है , जो लुब्रिकेशन , फॉमिंग और फ्रेशनिंग का काम करता है। असली एक्शन ब्रश करता है। लेकिन फिर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें , तो उसमें फ्लॉराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमिंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपेस्ट मटर के दाने जितना लेना काफी होता है।

पाउडर और मंजन : टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं , बल्कि ब्रश से। मंजन इनेमल को घिस देता है।

दातुन : नीम के दातुन में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन यह दांतों को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता। बेहतर विकल्प ब्रश ही है। दातुन करनी ही हो तो पहले उसे अच्छी तरह चबाते रहें। जब दातुन का अगला हिस्सा नरम हो जाए तो फिर उसमें दांत धीरे - धीरे साफ करें। सख्त दातुन दांतों पर जोर - जोर से रगड़ने से दांत घिस जाते हैं।

माउथवॉश : मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

नींद में दांत पीसना

वजह : गुस्सा , तनाव और आदत की वजह से कई लोग नींद में दांत पीसते हैं। इससे आगे जाकर दांत घिस जाते हैं।

बचाव : नाइटगार्ड यूज करना चाहिए।

स्केलिंग और पॉलिशिंग

दांतों पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए स्केलिंग और फिर पॉलिशिंग की जाती है। यह हाथ और अल्ट्रासाउंड मशीन दोनों तरीकों से की जाती है। चाय - कॉफी , पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़ - दो साल टिकती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है।

चेकअप कब कराएं

अगर कोई परेशानी नहीं है तो कैविटी के लिए अलग से चेकअप कराने की जरूरत नहीं है लेकिन हर छह महीने में एक बार दांतों की पूरी जांच करानी चाहिए।

मुस्कुराते रहें

मुस्कराहट और अच्छे खूबसूरत दांतों के बीच दोतरफा संबंध है। सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है , वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है , जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से एसिड भी बनता है , जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है।

बच्चों के दांतों की देखभाल

छोटे बच्चों के मुंह में दूध की बोतल लगाकर सुलाएं।

चॉकलेट और च्यूइंगम खिलाएं। खाएं भी तो तुरंत कुल्ला करें।

बच्चे को अंगूठा चूसने दें। इससे दांत टेढ़े - मेढ़े हो जाते हैं।

डेढ़ साल की उम्र से ही अच्छी तरह ब्रशिंग की आदत डालें।

छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट दें।
 


 ब्रश करने का सही तरीका                                 

यों तो हर बार खाने के बाद ब्रश करना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में दिन में कम - से - कम दो बार ब्रश जरूर करें और हर बार खाने के बाद कुल्ला करें। दांतों को तीन - चार मिनट ब्रश करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं , जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं , उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे - धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी - बारी से हर दांत को साफ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों के बीच में फंसे कणों को फ्लॉस ( प्लास्टिक का धागा ) से निकालें। इसमें 7-8 मिनट लगते हैं और यह अपने देश में ज्यादा कॉमन नहीं है। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। उंगली या ब्रश से धीरे - धीरे मसूड़ों की मालिश करने से वे मजबूत होते हैं। 

 

 

" जनम जनम हो तू ही मेरे पास माँ " (Hindi Lyrics)

 
जनम  जनम
हो तू ही मेरे पास माँ
जनम  जनम
हो तू ही ज़मीन आसमान

जनम  जनम
हो तू ही मेरे पास माँ
जनम  जनम
हो तू ही ज़मीन आसमान

यह है खबर दिल में कहीं
रब रहता है मगर

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

पगली है दुनिया
रब को मनाने
मंदिर मज़ारों
तक जाती है
घर में ही मेरे
होता है तीर्थ
मुझको नज़र जब
माँ  आती है
मुझको नज़र जब
माँ  आती है

जनम  जनम
तू मेरी अरदास माँ
जनम  जनम
तू मेरा एहसास माँ

सच का पता दिल में ही है

पर मुझको यह पता
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

बचपन से अब तक
माँ  से क्या सीखा
मैं  ये जहाँ को बतलवँगा
जब नाज़ होगा तुमको भी मुझपे
वो दिन यक़ीनन
मैं लवँगा
वो दिन यक़ीनन
मैं लाऊंगा

जनम  जनम
तेरा विश्वास माँ

जनम  जनम
रहूं मैं तेरे पास माँ

इन ख्वाहिशों इन कोशिशों से पहले तो मगर
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ


Thursday, September 5, 2013

Teachers Day

 गुरु-शिष्य परंपरा.........



    "गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
    बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।
"

कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं।

गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है,
जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई
ऐसे लोग भी हैं, जो अपने अनैतिक कारनामों और लालची स्वभाव के कारण
इस परंपरा पर गहरा आघात कर रहे हैं। 'शिक्षा' जिसे अब एक व्यापार समझकर बेचा
जाने लगा है, किसी भी बच्चे का एक मौलिक अधिकार है, लेकिन अपने लालच
को शांत करने के लिए आज तमाम शिक्षक अपने ज्ञान की बोली लगाने लगे हैं।
इतना ही नहीं वर्तमान हालात तो इससे भी बदतर हो गए हैं, क्योंकि शिक्षा की
आड़ में कई शिक्षक अपने छात्रों का शारीरिक और मानसिक शोषण करने को अपना
अधिकार ही मान बैठे हैं। किंतु कुछ ऐसे गुरु भी हैं, जिन्होंने हमेशा समाज के सामने
एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। प्राय: सख्त और अक्खड़ स्वभाव वाले यह
शिक्षक अंदर से बेहद कोमल और उदार होते हैं। हो सकता है कि किसी छात्र के जीवन
में कभी ना कभी एक ऐसे गुरु या शिक्षक का आगमन हुआ हो, जिसने उसके जीवन
की दिशा बदल दी या फिर जीवन जीने का सही ढंग सिखाया हो।


शिक्षक दिवस पर विशेष: हिंदी सिनेमा में छात्र-शिक्षक रिश्ता.......

शिक्षक सख्त भी हो सकते हैं और नर्म भी। वे लोगों के दिलों को भी छू सकते हैं।
बॉलीवुड वर्षो से शिक्षकों के महत्व को दिखाता आ रहा है। फिल्मों में अमिताभ बच्चन, आमिर खान
और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं ने शिक्षक की भूमिका निभाई है।

पांच सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आइए, ऐसी 10 शीर्ष फिल्मों की चर्चा करें जिनमें
 शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच भावनात्मक, कलहपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंध दिखाया गया है।
 'सर' (1993) : मशहूर कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने इस फिल्म में एक जिंदादिल शिक्षक की भूमिका निभाई थी। इसमें वह अपने विद्यार्थियों पूजा भट्ट और अनिल अग्निहोत्री की बुरे समय में 
एक दोस्त की तरह मदद करते हैं।

'रॉकफोर्ड' (1999) : निर्देशक नागेश कुकनूर की यह फिल्म एक किशोर की कहानी है
 जो एक आवसीय विद्यालय में सैकड़ों छात्रों के बीच खुद को हारा हुआ महसूस करता है।
 उसकी दोस्ती एक शिक्षक से होती है। फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षक और शिष्य के अच्छे संबंधों
से शिष्य का हौसला किस कदर बुलंद होता है।

'मोहब्बतें' (2000) : इस फिल्म में महानायक अमिताभ बच्चन ने सख्त प्रधानाचार्य 
नारायण शंकर की भूमिका निभाई है। शाहरुख खान ने एक युवा संगीत शिक्षक की भूमिका निभाई है जो अपनी नई विचारधारा से बदलाव की हवा लेकर आता है.

'मैं हूं ना' (2004) : इसमें शिक्षिका न सिर्फ पढ़ाती है, बल्कि फैशन के नुस्खे भी देती है।
 शिफॉन की साड़ी और डिजाइनर चोली पहने सुष्मिता सेन के किरदार ने दिखाया है
कि लोग शिक्षिकाओं को किस तरह देखते हैं और शिक्षिका को अपने 
विद्यार्थी शाहरुख खान से प्यार हो जाता है।
 बोमन ईरानी और बिंदू ने इसमें मजाकिया शिक्षक का किरदार निभाया है।

'ब्लैक' (2005) : यह एक संवेदनशील शिक्षक की कहानी है 
जो अंधी, मूक-बधिर लड़की की मदद करता है।
शिक्षक की भूमिका अमिताभ ने और शिष्या की रानी मुखर्जी ने निभाई थी।
 शिक्षक और शिष्य कहां तक अपनी भावनाओं को साझा करते हैं, 
यह इस फिल्म में भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है।

'तारे जमीं पर' (2007) : यह डिसलेक्सिया से पीड़ित एक बच्चे की कहानी है।
शिक्षक की भूमिका में आमिर खान ने दिखाया है कि ऐसे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
'3 ईडियट्स' (2009) : इसमें एक सख्त कॉलेज प्राचार्य वीरू सहस्त्रबुद्धे को दिखाया गया जिसके लिए किताबी ज्ञान और श्रेणी ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक विद्यार्थी के किरदार में आमिर खान साबित करते हैं कि जीवन पाठ्यपुस्तकों से परे है।

'पाठशाला' (2009) : फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले ही न चली हो लेकिन इसमें शिक्षा का व्यवसायीकरण
 होता दिखाया गया है। संगीत शिक्षक राहुल की भूमिका में शाहिद कपूर ने दिखाया है
कि किस तरह शिक्षक और छात्र मिलकर विद्यालय के प्रबंधन के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।

'आरक्षण' (2011) : शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों को दर्शाती यह फिल्म आरक्षण के मुद्द पर आधारित है।
अमिताभ ने कॉलेज प्राचार्य प्रभाकर आनंद की भूमिका निभाई है 
जो बाद में सामाजिक कार्यकर्ता बन जाता है।

 'स्टूडेंड ऑफ द ईयर' (2012) : करन जौहर की इस फिल्म में दिखाया गया है
 कि विद्यार्थी भी शिक्षक को सिखा सकते हैं। इसमें कॉलेज की वार्षिक प्रतियोगिता के कारण
 छात्रों की दोस्ती टूट जाती है।
 अंत में एक छात्र प्राचार्य ऋषि कपूर को बताता है कि प्रतियोगिता का विषय ही घातक था।
 तब प्राचार्य को गलती का अहसास होता है।
 

Tuesday, September 3, 2013

वो ओ ओ ओ...आसान नही यहाँ (Lyrics)

 

वो ओ ओ ओ...

आसान नही यहाँ आशिक़ हो जाना
पलकों पे काँटों को सजाना
आशिक़ को मिलती है गम की सौगातें
सबको ना मिलता यह खजाना

वो ओ ओ ओ...

बातों से आगे , वादों से आगे
देखो ज़रा तुम कभी हो ओ..
यह तो है शोला, यह है चिंगारी
यह है जवाग भी

वो ओ ओ ओ...

जिस्मों के पीछे , भागे हो फिरते
उतरो कभी रूह में हो..
होता क्या आशिक़, क्या आशिक़ही है
होगी खबर तब तुम्हें

वो ओ ओ ओ...

हम तेरे बिन अब रह नही सकते (Lyrics)




हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा (2)

तुझसे जुदा गर हो जाएँगे
तो खुद से ही हो जाएँगे जुदा

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता है कैसा
इक पल दूर गवारा नही
तेरे लिए हर रोज़ है जीते
तुझ को दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर साँस पे नाम तेरा

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तुम्ही हो... तुम्ही हो...
तेरे लिए ही जिया मैं
खुद को जो यूँ दे दिया है
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मो को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा है नसीब जुदा
तुझे पाके अधूरा ना रहा ह्म..

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो..
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो (2)

Sunday, September 1, 2013

" छोड़ दे सारी दुनिया "

 
 
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या \-२
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहाँ क्यूँ बसाते नहीं
दिल ने चाहा भी तो, साथ सँसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए
 
 
 
 (तनाव को कम करने के लिए बस एक बार गीत को ध्यान से सुनो)