Friday, September 6, 2013

" जनम जनम हो तू ही मेरे पास माँ " (Hindi Lyrics)

 
जनम  जनम
हो तू ही मेरे पास माँ
जनम  जनम
हो तू ही ज़मीन आसमान

जनम  जनम
हो तू ही मेरे पास माँ
जनम  जनम
हो तू ही ज़मीन आसमान

यह है खबर दिल में कहीं
रब रहता है मगर

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

पगली है दुनिया
रब को मनाने
मंदिर मज़ारों
तक जाती है
घर में ही मेरे
होता है तीर्थ
मुझको नज़र जब
माँ  आती है
मुझको नज़र जब
माँ  आती है

जनम  जनम
तू मेरी अरदास माँ
जनम  जनम
तू मेरा एहसास माँ

सच का पता दिल में ही है

पर मुझको यह पता
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ

बचपन से अब तक
माँ  से क्या सीखा
मैं  ये जहाँ को बतलवँगा
जब नाज़ होगा तुमको भी मुझपे
वो दिन यक़ीनन
मैं लवँगा
वो दिन यक़ीनन
मैं लाऊंगा

जनम  जनम
तेरा विश्वास माँ

जनम  जनम
रहूं मैं तेरे पास माँ

इन ख्वाहिशों इन कोशिशों से पहले तो मगर
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ
मेरे दिल में रहती
भोली भली मेरी माँ


Thursday, September 5, 2013

Teachers Day

 गुरु-शिष्य परंपरा.........



    "गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
    बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।
"

कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं।

गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है,
जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई
ऐसे लोग भी हैं, जो अपने अनैतिक कारनामों और लालची स्वभाव के कारण
इस परंपरा पर गहरा आघात कर रहे हैं। 'शिक्षा' जिसे अब एक व्यापार समझकर बेचा
जाने लगा है, किसी भी बच्चे का एक मौलिक अधिकार है, लेकिन अपने लालच
को शांत करने के लिए आज तमाम शिक्षक अपने ज्ञान की बोली लगाने लगे हैं।
इतना ही नहीं वर्तमान हालात तो इससे भी बदतर हो गए हैं, क्योंकि शिक्षा की
आड़ में कई शिक्षक अपने छात्रों का शारीरिक और मानसिक शोषण करने को अपना
अधिकार ही मान बैठे हैं। किंतु कुछ ऐसे गुरु भी हैं, जिन्होंने हमेशा समाज के सामने
एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। प्राय: सख्त और अक्खड़ स्वभाव वाले यह
शिक्षक अंदर से बेहद कोमल और उदार होते हैं। हो सकता है कि किसी छात्र के जीवन
में कभी ना कभी एक ऐसे गुरु या शिक्षक का आगमन हुआ हो, जिसने उसके जीवन
की दिशा बदल दी या फिर जीवन जीने का सही ढंग सिखाया हो।


शिक्षक दिवस पर विशेष: हिंदी सिनेमा में छात्र-शिक्षक रिश्ता.......

शिक्षक सख्त भी हो सकते हैं और नर्म भी। वे लोगों के दिलों को भी छू सकते हैं।
बॉलीवुड वर्षो से शिक्षकों के महत्व को दिखाता आ रहा है। फिल्मों में अमिताभ बच्चन, आमिर खान
और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं ने शिक्षक की भूमिका निभाई है।

पांच सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आइए, ऐसी 10 शीर्ष फिल्मों की चर्चा करें जिनमें
 शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच भावनात्मक, कलहपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंध दिखाया गया है।
 'सर' (1993) : मशहूर कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने इस फिल्म में एक जिंदादिल शिक्षक की भूमिका निभाई थी। इसमें वह अपने विद्यार्थियों पूजा भट्ट और अनिल अग्निहोत्री की बुरे समय में 
एक दोस्त की तरह मदद करते हैं।

'रॉकफोर्ड' (1999) : निर्देशक नागेश कुकनूर की यह फिल्म एक किशोर की कहानी है
 जो एक आवसीय विद्यालय में सैकड़ों छात्रों के बीच खुद को हारा हुआ महसूस करता है।
 उसकी दोस्ती एक शिक्षक से होती है। फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षक और शिष्य के अच्छे संबंधों
से शिष्य का हौसला किस कदर बुलंद होता है।

'मोहब्बतें' (2000) : इस फिल्म में महानायक अमिताभ बच्चन ने सख्त प्रधानाचार्य 
नारायण शंकर की भूमिका निभाई है। शाहरुख खान ने एक युवा संगीत शिक्षक की भूमिका निभाई है जो अपनी नई विचारधारा से बदलाव की हवा लेकर आता है.

'मैं हूं ना' (2004) : इसमें शिक्षिका न सिर्फ पढ़ाती है, बल्कि फैशन के नुस्खे भी देती है।
 शिफॉन की साड़ी और डिजाइनर चोली पहने सुष्मिता सेन के किरदार ने दिखाया है
कि लोग शिक्षिकाओं को किस तरह देखते हैं और शिक्षिका को अपने 
विद्यार्थी शाहरुख खान से प्यार हो जाता है।
 बोमन ईरानी और बिंदू ने इसमें मजाकिया शिक्षक का किरदार निभाया है।

'ब्लैक' (2005) : यह एक संवेदनशील शिक्षक की कहानी है 
जो अंधी, मूक-बधिर लड़की की मदद करता है।
शिक्षक की भूमिका अमिताभ ने और शिष्या की रानी मुखर्जी ने निभाई थी।
 शिक्षक और शिष्य कहां तक अपनी भावनाओं को साझा करते हैं, 
यह इस फिल्म में भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है।

'तारे जमीं पर' (2007) : यह डिसलेक्सिया से पीड़ित एक बच्चे की कहानी है।
शिक्षक की भूमिका में आमिर खान ने दिखाया है कि ऐसे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
'3 ईडियट्स' (2009) : इसमें एक सख्त कॉलेज प्राचार्य वीरू सहस्त्रबुद्धे को दिखाया गया जिसके लिए किताबी ज्ञान और श्रेणी ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक विद्यार्थी के किरदार में आमिर खान साबित करते हैं कि जीवन पाठ्यपुस्तकों से परे है।

'पाठशाला' (2009) : फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले ही न चली हो लेकिन इसमें शिक्षा का व्यवसायीकरण
 होता दिखाया गया है। संगीत शिक्षक राहुल की भूमिका में शाहिद कपूर ने दिखाया है
कि किस तरह शिक्षक और छात्र मिलकर विद्यालय के प्रबंधन के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।

'आरक्षण' (2011) : शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों को दर्शाती यह फिल्म आरक्षण के मुद्द पर आधारित है।
अमिताभ ने कॉलेज प्राचार्य प्रभाकर आनंद की भूमिका निभाई है 
जो बाद में सामाजिक कार्यकर्ता बन जाता है।

 'स्टूडेंड ऑफ द ईयर' (2012) : करन जौहर की इस फिल्म में दिखाया गया है
 कि विद्यार्थी भी शिक्षक को सिखा सकते हैं। इसमें कॉलेज की वार्षिक प्रतियोगिता के कारण
 छात्रों की दोस्ती टूट जाती है।
 अंत में एक छात्र प्राचार्य ऋषि कपूर को बताता है कि प्रतियोगिता का विषय ही घातक था।
 तब प्राचार्य को गलती का अहसास होता है।
 

Tuesday, September 3, 2013

वो ओ ओ ओ...आसान नही यहाँ (Lyrics)

 

वो ओ ओ ओ...

आसान नही यहाँ आशिक़ हो जाना
पलकों पे काँटों को सजाना
आशिक़ को मिलती है गम की सौगातें
सबको ना मिलता यह खजाना

वो ओ ओ ओ...

बातों से आगे , वादों से आगे
देखो ज़रा तुम कभी हो ओ..
यह तो है शोला, यह है चिंगारी
यह है जवाग भी

वो ओ ओ ओ...

जिस्मों के पीछे , भागे हो फिरते
उतरो कभी रूह में हो..
होता क्या आशिक़, क्या आशिक़ही है
होगी खबर तब तुम्हें

वो ओ ओ ओ...

हम तेरे बिन अब रह नही सकते (Lyrics)




हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा (2)

तुझसे जुदा गर हो जाएँगे
तो खुद से ही हो जाएँगे जुदा

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता है कैसा
इक पल दूर गवारा नही
तेरे लिए हर रोज़ है जीते
तुझ को दिया मेरा वक़्त सभी
कोई लम्हा मेरा ना हो तेरे बिना
हर साँस पे नाम तेरा

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो

तुम्ही हो... तुम्ही हो...
तेरे लिए ही जिया मैं
खुद को जो यूँ दे दिया है
तेरी वफ़ा ने मुझको संभाला
सारे ग़मो को दिल से निकाला
तेरे साथ मेरा है नसीब जुदा
तुझे पाके अधूरा ना रहा ह्म..

क्यूंकी तुम ही हो
अब तुम ही हो
ज़िंदगी अब तुम ही हो..
चैन भी, मेरा दर्द भी
मेरी आशिकी अब तुम ही हो (2)

Sunday, September 1, 2013

" छोड़ दे सारी दुनिया "

 
 
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या \-२
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं
चाँद मिलता नहीं सबको सँसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए

कितनी हसरत से तकती हैं कलियाँ तुम्हें
क्यूँ बहारों को फिर से बुलाते नहीं
एक दुनिया उजड़ ही गई है तो क्या
दूसरा तुम जहाँ क्यूँ बसाते नहीं
दिल ने चाहा भी तो, साथ सँसार के
चलना पड़ता है सब की खुशी के लिए
 
 
 
 (तनाव को कम करने के लिए बस एक बार गीत को ध्यान से सुनो)

Thursday, August 29, 2013

" श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव "

 
 
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्सव है।
योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।
श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। 
आईये जानते है कैसे मनाये जन्माष्टमी। ……
व्रत विधि......
व्रत के दिन प्रात: व्रती को सूर्य, सोम (चन्द्र), यम, काल, दोनों सन्ध्याओं (प्रात: एवं सायं),
पाँच भूतों, दिन, क्षपा (रात्रि), पवन, दिक्पालों, भूमि, आकाश, खचरों (वायु दिशाओं के निवासियों)
एवं देवों का आह्वान करना चाहिए, जिससे वे उपस्थित हों।
उसे अपने हाथ में जलपूर्ण ताम्र पात्र रखना चाहिए,
जिसमें कुछ फल, पुष्प, अक्षत हों और मास आदि का नाम लेना चाहिए और संकल्प करना चाहिए–
'मैं कृष्णजन्माष्टमी व्रत कुछ विशिष्ट फल आदि तथा अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए करूँगा।'
तब वह वासुदेव को सम्बोधित कर चार मंत्रों का पाठ करता है, जिसके उपरान्त वह पात्र में जल डालता है।
उसे देवकी के पुत्रजनन के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करना चाहिए, जिसमें जल से पूर्ण शुभ पात्र, आम्रदल,
पुष्पमालाएँ आदि रखना चाहिए, अगरु जलाना चाहिए और शुभ वस्तुओं से अलंकरण करना चाहिए तथा षष्ठी देवी को रखना चाहिए। गृह या उसकी दीवारों के चतुर्दिक देवों एवं गन्धर्वों के चित्र बनवाने चाहिए (जिनके हाथ जुड़े हुए हों), वासुदेव (हाथ में तलवार से युक्त), देवकी, नन्द, यशोदा, गोपियों, कंस-रक्षकों, यमुना नदी, कालिया नाग तथा गोकुल की घटनाओं से सम्बन्धित चित्र आदि बनवाने चाहिए। प्रसूति गृह में परदों से युक्त बिस्तर तैयार करना चाहिए।
  
 पारण........
प्रत्येक व्रत के अन्त में पारण होता है, जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है।
जन्माष्टमी एवं जयन्ती के उपलक्ष्य में किये गये उपवास के उपरान्त पारण के विषय में कुछ विशिष्ट नियम हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण, कालनिर्णय में आया है कि–'जब तक अष्टमी चलती रहे या उस पर रोहिणी नक्षत्र रहे तब तक पारण नहीं करना चाहिए; जो ऐसा नहीं करता, अर्थात जो ऐसी स्थिति में पारण कर लेता है
वह अपने किये कराये पर ही पानी फेर लेता है और उपवास से प्राप्त फल को नष्ट कर लेता है।
अत: तिथि तथा नक्षत्र के अन्त में ही पारण करना चाहिए।

सच्ची जन्माष्टमी मानाने की सहज विधि …उपवास माना  ऊपर में वास करना इस का मतलब है की आप अपने मन से दिल से ईश्वर की याद में रहो सच्चे रहो पार ब्रह्म में रहने वाले उस ईश्वर पिता को याद करते रहो तो आपको शक्ति मिलती रहगी और आपका मन शुद्ध और पवित्र हो जायेगा जिस से आप श्री कृष्णा की नगरी में जाने लयक बन जायेंगे और यहाँ रहते भी आपको अति इन्द्रिय सुख का अनुभव होगा। …लेकिन याद विधि पूर्वक हो देह सहित देह के सब धर्म को मन से भूल उस परमात्मा को याद करे। … 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव...............
 देश भर के श्रद्धालु जन्माष्टमी पर्व को बड़े भव्य तरीक़े से एक महान पर्व के रूप में मनाते हैं।
 सभी कृष्ण मन्दिरों में अति शोभावान महोत्सव मनाए जाते हैं।
 विशेष रूप से यह महोत्सव वृन्दावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गुरुवयूर (केरल), उडृपी     (कर्नाटक) तथा इस्कॉन के मन्दिरों में होते हैं।
 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव सम्पूर्ण ब्रजमण्डल में, घर–घर में, मन्दिर–मन्दिर में मनाया जाता है।
 अधिकतर लोग व्रत रखते हैं और रात को बारह बजे ही 'पंचामृत या फलाहार' ग्रहण करते हैं।
 मथुरा के जन्मस्थान में विशेष आयोजन होता है। सवारी निकाली जाती है। दूसरे दिन नन्दोत्सव मन्दिरों में दधिकाँदों होता है।  फल, मिष्ठान, वस्त्र, बर्तन, खिलौने और रुपये लुटाए जाते हैं। जिन्हें प्रायः सभी श्रद्धालु लूटकर धन्य होते हैं।  गोकुल, नन्दगाँव, वृन्दावन आदि में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बड़ी धूम–धाम होती है।

Wednesday, August 28, 2013

Jeevan tumne Diya hai.....(Hindi Lyrics)

 

 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 साए मे हम आप ही के पाले, सत्कर्म की रह पर हम चले
 सारे जहाँ की भलाई करे, हम ना किसीकि बुराई करे
 इस  दुनिया के दुखों से बचा लोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

 हर पल अगर तुम्हारा साथ है, फिर हुमको डरने की क्या बात है
काठनाईयो  से ना हारेंगे हम, तुमको हमेशा पुकारेंगे हम
 अपने गले से हमे भी लगलोगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम

छाया  कही तो कही धूप है, है नाम कितने काई रूप है
 हर शय  मे तुम हो समाए हुए, हम सब हैं तुम्हारे बनाए हुए
 हम जो रूठे कभी तो मनलॉगे तुम - (2)
 आशा हमे है विश्वास है, हर मुश्किल से विधाता, निकलोगे तुम
 जीवन तुमने दिया है संम्भालोगे तुम